बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के कारण सेंट्रल यूनिवर्सिटी का हुआ है सत्यानाश: राणा
punjabkesari.in Tuesday, Mar 02, 2021 - 06:23 PM (IST)
सुजानपुर : सुजानपुर के पटलांदर में बनने वाले 33 केवी सब-स्टेशन का रास्ता साफ हो गया है। जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालय का मामला अभी भी लटक सकता है। सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने इन दोनों मामलों को विधानसभा के बजट सत्र में उठाया है। विधानसभा पटल पर रखे गए दो प्रश्नों के जवाब में सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने कहा है कि सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के पटलांदर आंसला में बनने वाले 33/11 केवी 2Û3 15 एमवीए सब स्टेशन के निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। इस सब-स्टेशन के निर्माण के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए हैं। जिन्हें 3 मार्च बुधवार को खोला जाना है। टेंडर खुलने के तुरंत बाद इस निर्माण कार्य को आवार्ड कर दिया जाएगा।
इस सब-स्टेशन के लिए 33 केवी लाइन का निर्माण एडजेस्टिंग 33 केवी अणु से सुजानपुर लाइन को अपग्रेड करके देहरियां के पास से डेडिकेटड़ टैपिंग लाइन बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई 5.52 किलोमीटर होगी। देहरियां से पटलांदर तक बनने वाली इस 5.52 किलोमीटर 33 केवी लंबी लाइन का काम भी फाइनल आवार्डिंग स्टेज पर है, जिसे 28 फरवरी को आवार्ड कर दिया गया है। अणु से चबुतरा में 12 किलोमीटर 33 केवी एचटी लाइन का काम युद्धस्तर पर जारी किया गया है। इस लाइन का काम 4 फरवरी 2021 को आवार्ड हुआ है। राणा ने कहा कि इस काम को लंबे अरसे से सरकार लटकाती आ रही थी इस सब स्टेशन को बनने में इसलिए देरी हुई कि इन्होंने सरकारी भूमि को छोड़कर प्राइवेट भूमि खरीदी। जबकि इसका शिलान्यास 2017 में हो चुका था। अब विधानसभा पटल पर प्रश्न रखने के बाद सरकार ने इन कामों के बारे में जवाब देते हुए स्थिति स्पष्ट की है।
राणा ने बताया कि विधानसभा पटल पर सुजानपुर के पटलांदर में बनने वाले 33 केवी सब स्टेशन पर सरकार से मांगे गए प्रश्न के जवाब में अब यह स्थिति स्पष्ट हुई है। जबकि इसी के साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय पर भी सरकार से जवाब आया है उसमें बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के कारण काम लटकाने की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि इसी तरह केंद्रीय विश्वविद्यालय की भूमि स्थानांतरण के मामले में धर्मशाला के जदरांगल 24-52-9 हैक्टेयर वन भूमि विश्वविद्यालय के नाम की जा चुकी है। जबकि विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर देहरा में 34-55-61 हैक्टेयर गैर वन भूमि केंद्रीय विश्वविद्यालय के नाम हो चुकी है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 23.4.2010 को केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति प्रदान की गई थी।
विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर जदरांगल में 75-39-31 हैक्टेयर वन भूमि का मामला वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत प्रक्रियाहीन होने के कारण अभी तक विश्वविद्यालय के नाम नहीं हो पाई है। जबकि विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के लिए 81-79-16 हैक्टेयर वन भूमि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार यूजर एजेंसी शिक्षा विभाग के स्थान पर केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश को परिवर्तन करने का अनुमोदन किया गया है। राणा ने कहा कि वर्षों से केंद्रीय विश्वविद्यालय बीजेपी की राजनीति का शिकार हो रहा है। जबकि असल हकीकत यह है कि बीजेपी के डबल इंजन की सरकार अभी तक भी केंद्रीय विश्वविद्यालय की पूरी भूमि विश्वविद्यालय के नाम नहीं करवा पाई है। उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि अब तो केंद्र और राज्य में बीजेपी की डबल इंजन की सरकार कार्यरत है। अब भूमि को विश्वविद्यालय के नाम करवाने से बीजेपी को किसने रोका है। प्रदेश की जनता इस सवाल का जवाब अब बीजेपी से चाहती है।