भ्रष्टाचार मामले का आरोपी CDPO निलंबित, जानिए पूरा मामला

Tuesday, Aug 27, 2019 - 10:17 AM (IST)

मंडी (ब्यूरो): बाल विकास परियोजना अधिकारी (सी.डी.पी.ओ.) चौंतड़ा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते प्रदेश सरकार ने निलंबित कर दिया है। उनके निलंबन के आदेश अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) निशा सिंह ने जारी किए। उल्लेखनीय है कि कल्याण विभाग में तहसील कल्याण अधिकारी जोगिंद्रनगर रहते हुए उनके कार्यकाल (2012 से 2017) के बीच अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन राशि समेत विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पैंशनों में लगभग 1 करोड़ 39 लाख का गबन हुआ है।  यह मामला इस साल के शुरू में प्रकाश में आया था जब एक लाभार्थी को पैसे न मिलने पर उसने इसकी छानबीन शुरू करवाई थी। जांच में पाया गया कि विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पैंशनों का 1 करोड़ 39 लाख के लगभग पैसा डकारा गया है।  

जांच में यह गोलमाल पाए जाने के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशालय से उन पर मामला दर्ज करने का आदेश हुआ था तथा जिला कल्याण अधिकारी मंडी ने बीते 9 अगस्त को जोगिंद्रनगर थाना में एफ.आई.आर. दर्ज करवाई थी। इस पर उक्त अधिकारी जो दो साल पहले तहसील कल्याण अधिकारी पद से सी.डी.पी.ओ. बन गए थे ने कोर्ट से अंतरिम जमानत हासिल कर ली थी। ऐसे में अभी तक पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है। अब इसी क्रम में सरकार ने उन्हें निलंबित करके उनकी ड्यूटी जिला परियोजना अधिकारी मंडी के कार्यालय में लगा दी है। 

इस बारे में जब जिला परियोजना अधिकारी बाल विकास विभाग मंडी सुरेंद्र टेगटा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि बाल विकास परियोजना अधिकारी चौंतड़ा सुभाष चंद्र को निलंबित कर दिया गया है। सोमवार को उन्होंने जिला कार्यालय में अपनी उपस्थिति दे दी है। उन्होंने कहा कि उनके निलंबन के आदेश शिमला से आए हैं जिनकी अनुपालना कर दी गई है। डी.एस.पी. पधर मदनकांत शर्मा ने कहा कि आरोपी को कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है लेकिन अभी जांच शुरूआती दौर में है लिहाजा कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगी। दस्तावेजों की जांच चल रही है। 

जोगिंद्रनगर पुलिस के लिए परेशानी बना केस 

सूत्रों की मानें तो जोगिंद्रनगर पुलिस के लिए यह केस परेशानी का सबब बना हुआ है क्योंकि पहले से ही यहां थाने में पुलिस के पास क्राइम केस बहुत ज्यादा हैं और अब भ्रष्टाचार के इस मामले में दर्जनों फाइलों को खंगालने के लिए पुलिस के पास जांच अधिकारियों की कमी है। ऐसे में जब तक यह केस सी.आई.डी. या विजीलैंस के पास नहीं जाता तब तक केस में समय रहते कार्रवाई संभव होती नहीं दिखाई दे रही है।  

Ekta