मंत्रिमंडल विस्तार: किसको जय और किसको राम-राम कहेंगे जयराम, यहां पढ़िए हर समीकरण

Tuesday, Nov 12, 2019 - 12:16 PM (IST)

शिमला (संजीव शर्मा 'संकुश'): हिमाचल प्रदेश में चिर-प्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार अब किसी भी समय हो सकता है। कुल 12 के मंत्रिमंडल में इस समय दो स्थान पिछले छह महीने से रिक्त चल रहे हैं। ऐसी भी सूचना है कि दो मंत्री हटाए जा रहे हैं और चार का विभाग बदला जा रहा है। यानी अगर दो हटाए गए तो कुल चार नए मंत्री आएंगे। ऐसे में आपकी जिज्ञासा भी अब यही होगी कि कौन आ रहा है कौन जा रहा है। इसे सिलसिलेबार ढंग से समझने की कोशिश करेंगे। कौन हटेगा कौन आएगा इसकी चर्चा से पहले यह जान लेते हैं कि कौन हैं जो सेफ हैं।  

ये जनाब सेफ ज़ोन में 

1. महेंद्र सिंह 

जयराम कैबिनेट में दो नंबर के मंत्री (अन्यथा न लें ) महेंद्र सिंह है। मंडी जिला से आते हैं और अनुभव के लिहाज़ से सबसे वरिष्ठ हैं। उनका काम काज सबसे अव्वल है। उनको हटाया जाना तो दूर उनके महकमे में फेर बदल की भी सम्भावना नहीं है। वे सेफेस्ट हैं।  

2. रामलाल मार्कण्डेय 

कृषि रामलाल मार्कण्डेय इस सूची में अगले मंत्री हैं। काम काज की उतनी चर्चा नहीं है। कृषि पर उनसे ज्यादा चर्चित तो पूर्व राज्यपाल थे,लेकिन इसके बावजूद ट्राइबल क्षेत्र से होने, विवाद रहित होने और फिर जातीय समीकरणों के चलते वे सेफ ज़ोन में हैं। तीन ट्राइबल सीटों किन्नौर, लाहौल-स्पीति और भरमौर में बीजेपी किन्नौर में है नहीं और भरमौर के विधायक नए नवेले हैं।  ऐसे में राम लाल को राम राम होने चांस नहीं हैं।  

3. वीरेंद्र कंवर 

पंचायती राज और पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के काम-काज ने महेंद्र सिंह के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। बीजेपी की बेल्ट हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से अकेले मंत्री हैं। गौ अभ्यारणों की उनकी स्कीम से संघ भी गदगद है। विवाद भी कोई नहीं है। लो प्रोफाइल हैं। सेफ ज़ोन में हैं। 

4. बिक्रम सिंह 

उद्योगमंत्री बिक्रम सिंह भी मजबूत हैं। अलबत्ता इन्वेस्टर्स मीट के बाद वे सरकार के बड़े लक्ष्य को हिट करने वाले अर्जुन के रूप में उभरे हैं। कोई चांस नहीं कि उनके महकमे के साथ छेड़छाड़ भी हो।   

5. राजीव सैजल 

सामाजिक अधिकारिता मंत्री और कसौली के विधायक राजीव सैजल की स्थिति यह है कि न तीन में न तेरह में। चुपचाप अपने काम में लगे हैं। किस काम में यह भले ही पता नहीं चल पा रहा हो लेकिन शिमला संसदीय क्षेत्र से और मंत्रिमंडल में आरक्षित वर्ग के एकमात्र प्रतिनिधि होने के नाते बने रहेंगे। संघप्रिय भी हैं ही।  

तो जनाब पांच तो सीधे सेफ ज़ोन में हैं। अब चर्चा उन चार की कर लेते हैं जिनमे से कोई दो छंट सकते हैं।  

1. गोविंद सिंह 

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। बिना सोचे समझे बसों का किराया बढ़ा कर सरकार को बैकफुट पर लाना हो। वॉल्वो बसों का परिचालन हो या फिर उनकी बीवी का कैश प्रकरण वे अक्सर विवादों में घिरते रहे हैं। हालांकि बीजेपी की केंद्रीय राजनीति में उनके गॉड फादर मजबूत हैं लेकिन उनको लेकर मंथन हो रहा है यह भीतर की सूचना है।  

2. सुरेश भारद्वाज 

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को कैबिनेट में लिए जाने को लेकर भी काफी खींचातानी हुई थी। अब उनके महकमे की तासीर भी ऐसी है कि जितना मर्जी कर लो यश तो मिलने से रहा। अब बताते हैं कि संगठन के एक मुख्य रणनीतिकार उनसे नाराज़ चल रहे हैं। ऐसे में उनपर तलवार लटकी हुई है। हालांकि यह देखना होगा कि जातीय और क्षेत्रीय समीकरण उनकी कितनी मदद कर पाते हैं। जिसे वर्तमान में अप्पर हिमाचल कहा जाता है उससे वे अकेले मंत्री हैं। कैसे काटेंगे यह देखना होगा लेकिन उनको काटने के लिए जोर लगा हुआ है।  

3. विपिन परमार 

स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार इस कवायद में पूरे निशाने पर हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बीमार हैं। हेल्थ सेक्टर औंधा है। सियासी लफड़े भी उनके दामन से लिपटे हैं। ऐसे में जनाब नप सकते हैं. नपे नहीं तो विभाग का बदलना तय है। 

4. सरवीण चौधरी 

 तलवारें शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी को लेकर भी निकल चुकी हैं। पीछे से काट दो, काट दो का शोर भी मचा हुआ है। पार्टी के कई नेता नहीं चाहते कि वे मंत्रिमंडल में दिखें। वैसे भी जब मंत्री बनी थीं तो मजबूरी में बनाना पड़ा था।  ऐसे में उनको लेकर तैयारी पूरी है। पेंच सिर्फ यहां फंसा है कि महिला कोटे का क्या होगा ?? ओबीसी  नाराज़ तो नहीं हो जाएंगे ,क्योंकि ध्वाला वाले मामले से वे वैसे ही नाराज चल रहे हैं। ऊपर से सरवीण के पति ब्रिगेडियर रैंक के सेवानिवृत फौजी हैं। उस एंगल को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। देखिये क्या बनता है।  

कौन आएगा ?? कैसे आएगा ??

यह सवाल कौन जाएगा से भी बड़ा यक्ष प्रश्न है। फिलवक्त राकेश पठानिया का आना तय सा दिख रहा है। लेकिन अगर सरवीण के चक्कर में रीटा धीमान का नंबर लगा तो। तो पठानिया के लिए क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज़ से मुश्किल हो जाएगा। हां अगर सरवीण को हटाया और उनके बदले भोरंज से कमलेश को लिया तो कई चीज़ें सध जाएंगी। मसलन पठानिया भी आये, महिला भी , आरक्षित वर्ग भी, संगठन शिल्पी भी और हमीरपुर जिला भी जो अभी मंत्रिमंडल से बाहर है। कमलेश इस मामले में एक आल राउंडर खिलाड़ी साबित हो सकती हैं। संगठन में भी वे रीटा धीमान और रीना कश्यप से कहीं वरिष्ठ हैं।


दूसरी एंट्री राजीव बिंदल की हो सकती है। उनको लेकर चर्चा है कि वे पूरा जोर लगा रहे हैं कैबिनेट में आने को लेकर। अगर वे आये तो भारद्वाज उनकी जगह एडजस्ट हो सकते हैं। चुवाड़ी के बिक्रम जरियाल को लेकर तो पहले दिन से गलत फहमी हो गयी थी। वे अब कपूर के गद्दी  कोटे का विकल्प भी हो सकते हैं। अनिल शर्मा का स्थान मंडी से ही भरेगा या कहीं और से यह भी देखना होगा। वहां दवाब ब्राह्मण वर्ग को लेकर ज्यादा है।ब्राह्मण वैसे ही गिनकर दो हैं अब। वैसे बिलासपुर जिला भी खाली है। खैर इस सारे मामले में मुख्यमंत्री का सियासी साहस भी बड़ी भूमिका निभाएगा। जो कटा वो तो शोर मचाएगा ही जो अभी भी बाहर रह जाएगा वो भी शोर मचाएगा।  

Ekta