यहां सरकारी स्कूल में दी जा रहीं प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें

Wednesday, Apr 18, 2018 - 11:50 PM (IST)

इंदौरा (अजीज खादिम): एक ओर प्रदेश सरकार माध्यमिक स्तर तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाने के दावे कर रही है तो दूसरी ओर यदि किसी सरकारी स्कूल में बच्चों से किताबों के नाम पर लाखों रुपए हड़प लिए जाएं तो ये दावे स्वयं ही खोखले नजर आने लगते हैं। ऐसा ही एक मामला जिला कांगड़ा के शिक्षा खंड इंदौरा के अंतर्गत एक प्राइमरी स्कूल का आया है, जहां नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें सिलेबस के रूप में शामिल कर प्रति विद्यार्थी 2-2 हजार रुपए ऐंठने की बात की जा रही है। यह बात कहां तक सच है, यह तो जांच रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा। हैरानी की बात यह है कि सरकारी स्कूलों में अधिकांश बी.पी.एल. परिवारों सहित आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, ऐसे में बच्चों को प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाना कहां तक उचित है, यह निश्चित रूप से जांच का विषय है।


बच्चों से वसूली जा रही फीस
मामला केवल निजी प्रकाशकों की किताबों तक व उनसे 2-2 हजार रुपए लेने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस स्कूल में प्रति बच्चे से प्रति माह पहले 100 रुपए फीस ली जा रही थी, जिसे अब 200 रुपए कर दिया गया है। सरकारी अधिसूचना के बिना बच्चों को पढ़ाने के लिए 2 अध्यापिकाओं को नियुक्त किया गया है जबकि इस स्कूल में बच्चों की संख्या के अनुसार पहले ही 3 सरकारी टीचर तैनात हैं।


सैंपल के लिए रखी गई हैं किताबें : मुख्य शिक्षक
मौके पर मौजूद स्कूल के मुख्य शिक्षक अशोक शास्त्री ने कहा कि यह निजी किताबें सैंपल के लिए रखी गई थीं क्योंकि सरकार द्वारा कुछ स्कूलों को आदर्श स्कूल बनाने का प्रयास चल रहा है, उसी के तहत मैंने निजी प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर ये पुस्तकें बच्चों को देने का प्रयास किया था ताकि बच्चे प्राइवेट स्कूलों में जाने की बजाय सरकारी स्कूलों में पढऩे की ओर आकर्षित हो सकें। 2 गैर-शिक्षकों के संबंध में अपनी सफाई देते हुए उन्होंने कहा के यह बच्चों के हित में पढ़ाने के लिए रखी गई हैं।


क्या कहते हैं एस.एम.सी. कमेटी अध्यक्ष
एस.एम.सी. कमेटी के अध्यक्ष सतपाल ने बताया कि एस.एम.सी. कमेटी ने स्कूल की शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नर्सरी की कक्षाएं शुरू की हैं, जिन्हें निजी प्रकाशकों की किताबें लगाई गई हैं। जहां तक प्रथम से पांचवीं तक के बच्चों को निजर प्रकाशकों की किताबों को लगाने की बात है तो अभिभावकों से बात करके ही लगाई जाएंगी और जो भी कंसेशन होगा उन्हें रिफंड किया जाएगा। निजी प्रकाशकों की किताबें लगाने का कारण यह है कि सरकार द्वारा निर्धारित सिलेबस का स्तर प्राइवेट स्कूलों से निम्र स्तर का है। यदि हम बच्चों को प्राइवेट स्कूलों जैसी शिक्षा कम खर्चे में देने का प्रयास कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है। 


क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यदि ऐसा है तो सरकार ऐसे मामले बर्दाश्त नहीं करेगी। मैं आज ही शिक्षा निदेशक को स्वयं संज्ञान लेकर मामले की जांच के निर्देश देता हूं। जांच रिपोर्ट आते ही जो भी गलत पाए गए उनके विरुद्ध विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा। 

Vijay