हिमाचल कांग्रेस में ब्लॉक से शुरू होगा फेरबदल का दौर

Monday, Aug 26, 2019 - 10:59 AM (IST)

शिमला (राक्टा): प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही व्यापक फेरबदल होगा। प्रदेश में 2 विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत होने वाले उपचुनाव से पहले इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इसके तहत सबसे पहले ब्लॉक स्तर पर फेरबदल किया जाएगा। ऐसे में कई ब्लॉक कार्यकारिणियां भंग भी हो सकती हैं। इसके साथ ही कुछ ब्लॉक अध्यक्षों को भी बदला जा सकता है। ब्लॉक के बाद जिला और प्रदेश कार्यकारिणी में फेरबदल हो सकता है। बीते जुलाई माह में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने ब्लॉक कमेटियों के पुनर्गठन को लेकर सभी 68 ब्लॉकों में पर्यवेक्षकों की नियुक्तियां की थीं। इसी कड़ी में अधिकतर पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में प्रेषित कर दी है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष अब सभी रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद ब्लॉक स्तर पर फेरबदल करेंगे। 

सूत्रों की मानें तो कई ब्लॉक पदाधिकारियों के निष्क्रिय होने की बात भी सामने आई है। इसके साथ ही कुछ ब्लॉकों में पार्टी पदाधिकारियों में आपसी गुटबाजी हावी है और अलग-अलग धड़े बने होने से संगठन को नुक्सान पहुंच रहा है। ऐसे में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर कई ब्लॉक पदाधिकारियों को बदला जाना तय माना जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस के सचिव हरिकृष्ण हिमराल ने संपर्क करने पर बताया कि अधिकतर पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं। ऐसे में अब रिपोर्ट का अध्ययन किए जाने के बाद संगठन की मजबूती के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।

विचार-विमर्श के बाद सौंपी रिपोर्ट

पार्टी अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों ने ब्लॉकों में जाकर पार्टी के मौजूदा विधायकों, पूर्व विधायक, वरिष्ठ नेताओं और कार्यकत्र्ताओं से विचार-विमर्श करने के बाद प्रदेश कार्यालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। सूचना के अनुसार पार्टी ने अब प्रत्येक बूथ में 5 से 7 लोग नियुक्त करने का निर्णय भी लिया है। बूथ स्तर पर नियुक्त कार्यकत्र्ताओं को प्रदेश कांग्रेस परिचय पत्र भी प्रदान करेगी।

कुछ विधायक व ब्लॉक अध्यक्ष कार्यकारिणी में फेरबदल किए जाने के पक्ष में नहीं

पार्टी सूत्रों के अनुसार कुछ विधायक व ब्लॉक अध्यक्ष कार्यकारिणी में फेरबदल किए जाने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति करते समय विधायकों तथा क्षेत्र के बड़े नेताओं को विश्वास में लेना होगा। गौर हो कि कुछ पार्टी नेताओं ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए थे।

Ekta