BJP सरकार में जांच की लम्बी प्रक्रिया से गुजरा धूमल परिवार!

Friday, Nov 01, 2019 - 09:43 AM (IST)

शिमला (ब्यूरो): राजनीतिक प्रतिशोध के चलते वीरभद्र सिंह सरकार के वक्त पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटों अनुराग ठाकुर और अरुण धूमल के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले अब बंद कर दिए गए हैं लेकिन हार की वजह से मुख्यमंत्री बनने से चूक गए प्रो. धूमल और परिवार को इन मामलों को बंद होने के इंतजार में न केवल डेढ़ साल इंतजार करना पड़़ा बल्कि लंबी जांच प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा।  

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में एक शिकायत के आधार पर धूमल परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर विजीलैंस ने मामला दर्ज किया था। उस दौरान शिकायत में धूमल और उनके दोनों बेटों के नाम हिमाचल सहित अन्य राज्यों में 31 संपत्तियां होने की जानकारी दी गई थी लेकिन जांच में विजीलैंस के हाथ कुछ भी नहीं लग पाया था। तब वीरभद्र सिंह के करीबी पुलिस अधिकारी डी.डब्ल्यू. नेगी को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया था मगर प्रो. धूमल द्वारा बार-बार विजीलैंस से शिकायत की प्रति की मांग की गई जिसे विजीलैंस ने नहीं दिया। धूमल परिवार कांग्रेस के शासन में इस कथित मामले को लेकर परेशान रहा लेकिन भाजपा की सत्ता में वापसी होने पर भी सरकार ने इन मामलों को लंबी औपचारिकता के बाद ही खत्म किया है।

भाजपा ने सत्तारूढ़ होते ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में राजनीति से प्रेरित सभी तरह से केस बंद करने की घोषणा की थी परंतु जयराम सरकार के अधिकारियों ने मंत्रिमंडल के उक्त फैसले से धूमल परिवार के केस को अलग ही रखा। यहां तक कि जयराम सरकार ने धूमल परिवार के केसों को बंद करवाने में खास रुचि लेने वाले एक आई.ए.एस. अधिकारी का तबादला ही कर दिया।  बताया जाता है कि सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ केस को पहले बंद कर दिया और अनुराग ठाकुर के खिलाफ केस को बंद नहीं किया गया था। सूत्रों की मानें तो इस बारे में धूमल परिवार की ओर से विजीलैंस और सरकार को यहां तक कह दिया गया था कि इस केस का चालान पेश कर दिया जाए। तब कहीं जाकर सरकार जागी और जुलाई, 2019 में अनुराग ठाकुर के खिलाफ चल रहा मामला भी बंद किया गया।

केस बंद करने के निर्णय के बावजूद जवाब दायर करने पड़े

जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री के निर्देशों और मंत्रिमंडल के फैसले के बावजूद विजीलैंस के अधिकारी धूमल परिवार के खिलाफ चल रहे केस बंद करने को राजी नहीं थे। हालांकि सरकार इस बारे में जून, 2018 में ही निर्णय ले चुकी थी। उसके बावजूद धूमल परिवार को जांच प्रक्रिया के तहत 70 पेज और 37 पेज के जवाब दायर करने पड़े थे, जिसमें सभी प्रकार की वित्तीय जानकारी दी गई, वहीं प्रो. धूमल के 1991 में सांसद बनने के बाद एक भी संपत्ति नहीं खरीदी गई थी और अनुराग ठाकुर ने 2008 में सांसद बनने के बाद केवल 2 लाख रुपए में कुल्लू जिला में एक जमीन खरीदी थी जिसका सारा रिकार्ड विजीलैंस के पास है।

Ekta