सेब को मंडियों में पहुंचाना बागवानों के लिए बना टेढ़ी खीर, जानिए कैसे

Sunday, Aug 25, 2019 - 04:07 PM (IST)

ठियोग (सुरेश): प्रदेश के किसानों की मुख्य आय का साधन सेब इस बार प्रदेश में लोगों के लिए अच्छी सौगात लाया है। प्रदेश में इस साल सेब की बम्पर फसल होने से बागवानों के चेहरे खिले हुए हैं और अब लोग सेब सीजन में दिन-रात व्यस्त हैं। अर्ली वैरायटी का सेब लगभग बाजार में उतर गया है और अब पुरानी वैरायटी रॉयल डिलिशयस जो प्रदेश में सबसे अधिक पाई जाती है इन दिनों बाजार में उतर आई है। इस सेब के दाम बाजार में 800 से 2 हजार तक मिल रहे हैं।

एक पेटी पर आ रहा 400 से 500 रुपए का खर्चा

बगीचे में लोग इन दिनों सेब का तुड़ान तो कर रहे हैं लेकिन सेब को मंडियों तक पहुंचाने में बागवानों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बागवानों को बगीचे में सेब के तुड़ान के लिए मजदूरों की कमी सबसे ज्यादा आ रही है। इस साल नेपाली लोगों के कम आने से बागवानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सेब के तुड़ान और तोड़े हुए सेब को सड़क तक पहुंचाने में हफ्ते भर का समय लग रहा है। जो मजदूरी करने वाले हैं वे बागवानों से मनमाने दाम वसूल रहे हैं, जिससे एक पेटी पर ही बागवानों का खर्चा 400 से 500 रुपए तक आ रहा है और बम्पर फसल होने पर बाजार में दाम भी कम मिल रहे हैं।

बंद सड़कों ने भी बढ़ाई बागवानों की परेशानी

एक और जहां बागवान मजदूरों की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं मौसम ने भी बागवानों की परेशानियों को और ज्यादा बढ़ा दिया है। पिछले दिनों हुई भारी बारिश से अधिकतर सड़कें बन्द हो गई हैं। लोग इन्हें ठीक करने के प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन बिना सरकारी मदद के अब उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं, जिससे मंडियों तक फसलों को पहुंचाने में बागवानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में बागवानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है लेकिन अभी तक उनकी समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा है।

Vijay