आसमान से बरसी आफत ने रुलाए सेब बागवान, सरकार व बैंक भी नहीं सुन रहे फरियाद

Tuesday, Sep 24, 2019 - 11:40 PM (IST)

ठियोग (सुरेश): सेब राज्य के नाम से मशहूर हिमाचल में सेब की फसल को लेकर प्रदेश सरकार लाखों दावे करती है। सेब की फसल को कोई नुक्सान न हो इसके लिए भी कई घोषणाएं ओर दावे किए जाते हैं। फसलों को कोई नुकसान न हो इसके लिए सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर फसल बीमा योजना भी चलाई है लेकिन इन दावों और घोषणाओ की सच्चाई क्या है ये सब जानते हैं। 2 दिन पहले ठियोग की क्यारा पंचायत में जमकर ओलावृष्टि हुई। रेगटू में आसमान से बरसी भयानक ओलावृष्टि ने बागवानों को खून के आंसू रुला दिए। गांव में 40 मिनट तक इतनी भयानक ओलावृष्टि हुई कि हर कोई सहम गया। लोगों की सांसें अटक गई कि अचानक सितम्बर के महीने में ओलावृष्टि कैसे हो गई। वो भी तब जब लोगों की फसल मंडी को जाने को तैयार थी।

सरकार का दिल थोड़ा भी नहीं पसीजा

रेगटू में हुई इस ओलावृष्टि ने सेब की पूरी फसल को तहस-नहस कर दिया। लोगों ने अभी तक कई बगीचों से सेब का एक भी दाना नही तोड़ा था और अब तोडऩे लायक कुछ बचा भी नही। बचें है तो ओलावष्टि के दाग जो बागवानों के घावों पर नमक लगाने का काम रहे हैं। बागवानों के ऊपर आई इस विपदा से सरकार का दिल थोड़ा भी नहीं पसीजा। कोई भी सरकारी कर्मचारी इस पंचायत के लोगों तक नही पहुंचा। हालांकि बागवानों ने पटवारी को नुक्सान का जायजा लेने के लिए कहा लेकिन वो भी भैंस के आगे बीन बजाने वाली बात हुई।

विधायक राकेश सिंघा ने की लोगों से मुलाकात

लोगों की इस पीड़ा को सुनने और सरकार से सहयोग दिलाने के लिए ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने बागवानों से मुलाकात की और बगीचों का दौरा कर अधिकारियों को मौके पर आने के आदेश दिए। इस बागावानों ने विधायक से उचित मुआवजे की मांग की और सरकार तक उनकी मांग पहुंचाने के लिए कहा। ओलावृष्टि से हुए नुक्सान को लेकर बागवानों का कहना है कि उनकी साल भर की कमाई नष्ट हो गई है। ओलावृष्टि ने सेब की फसल को तबाह कर दिया। सेब के पत्ते-पत्ते बिखर गए और हरेक दाना दागी हो गया। लोगों का कहना है कि सरकार इस आपदा के समय बागवानों की सहायता करे ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके।

बैंकों का जवाब सुना तो दंग रह गए बागवान

पंचायत में बागवानों के ऊपर आई इस आपदा को लेकर गांव के लोगों को फसल बीमे की आस जगी, जिसका हर साल बैंक प्रीमियम काटते हैं। बागवानों ने बैंक में जाकर अपना दुखड़ा सुनाया लेकिन जब बैंकों का जवाब सुना तो सब दंग रह गए। बागवानों का कहना है कि बैंक ने फसल का बीमा देने से मना कर दिया और ये कहा कि सेब का तो बीमा ही नहीं हुआ है। बागवानों से धान ओर मक्की का बीमा काटा जाता है और कुछेक ने कहा कि ये बीमा केवल सेब की फ्लावरिंग के समय हुए नुक्सान की भरपाई के लिए होता है।

बागवानों का कहना है कि बैंक से लोन लेते समय जमीन के जो कागज जमा किए जाते हैं उस पर सेब का बगीचा दर्शाया जाता है, जिसमें बाकायदा फलदार पौधे का हवाला दिया जाता है और इस एवज में बीमा कम्पनी को बैंक किस्त देता है, जिसकी भरपाई बागवानों से होती है लेकिन अब जब फसल पर संकट आया है तो बैंक कर्मचारी मुआवजा देने की बजाय बेतुकी बातें कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

बागवानों की तरफ सरकार कोई ध्यान नहीं

प्रकृति की इस आफत से बागवानों को हुए नुकसान को लेकर विधायक राकेश सिंघा ने दुख जताते हुए कहा कि आज तक ऐसा नुक्सान उन्होंने कभी नही देखा। उन्होंने कहा कि सेब का एक भी दाना लोगों ने तोड़ा नहीं और सेब की पूरी फसल बर्बाद हो गई है, साथ ही उन्होंने सरकार और सरकारी तंत्र पर तंज कसते हुए कहा कि कोई भी सरकारी कर्मचारी बागवानों के दुख में उनके साथ नहीं है। सरकार बागवानों के हित की बात करती है लेकिन सच्चाई ये है कि बागवानों की तरफ सरकार कोई ध्यान नही दे रही है। उन्होंने कहा कि बीमा के नाम पर सरकार बागवानों से पैसा इकट्ठा कर बीमा कंपनी को करोड़ों रुपए देती है लेकिन फसल नष्ट होने पर बागवानों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता। हर साल बगावनों को बीमा के नाम पर लूटा जाता है और सरकार चुपचाप तमाशबीन बनी रहती है। उन्होंने सरकार से बागवानों को जल्द मुआवजा दने की मांग की और लोगं को अपने हक के लिए लडऩे को कहा।

अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहे बागवान

बता दें कि इस साल ओलावृष्टि ने कई बार सेब की फसल को तबाह किया। अभी ये ओलावृष्टि तब आई है जब सेब का सीजन चल रहा है और ऐसे में ये नुक्सान बागवानों को खून के आंसू रुला रहा है। वहीं जिस फसल के नाम पर बागवानों ने बीमा कराया है वहीं बैंक भी अब बागवानों को मुआवजा देने की बजाय बीमे की बारीकियां और कई तरह के जवाब देकर गुमराह कर रहे हैं, जिससे बागवान अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।

Vijay