छोटे आकार का सेब गड्ड में नहीं खरीद रहे आढ़ती

Monday, Jul 22, 2019 - 04:42 PM (IST)

शिमला : जिला शिमला की कुछेक मंडियों में कानून की धज्जियां उड़ाते हुए पितू सेब (छोटे आकार का) गड्ड में नहीं खरीदा जा रहा है। ए.पी.एम.सी. के निर्देशानुसार पितू सेब गड्ड में बिकना चाहिए लेकिन कुछेक आढ़ती सैपरेटर में भरे जाने वाले छोटे आकार के सेब को 30 फीसदी कम दाम पर खरीद रहे हैं। इससे बागवानों को लाखों रुपए का नुक्सान उठाना पड़ रहा है। आढ़तियों की इस लूट से बागवान तिलमिला उठे हैं। किसान संघर्ष समिति ने इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे दी है। गौरतलब है कि कुछ पेटी सेब एक्स्ट्रा लार्ज, कुछ लार्ज, कुछ मीडियम, कुछ स्मॉल तो सबसे छोटे आकार का सेब सैपरेटर में भरकर मंडी में लाया जाता है।

कृषि उपज विपणन अधिनियम के मुताबिक सारा सेब औसत भाव में बिकना चाहिए। छोटे सेब के मामले में समझने वाला अर्थशास्त्र यह है कि पितू सेब की पेटी में एक लेयर ज्यादा होती है। इस वजह से पितू सेब की पेटी में 6 से 8 किलो ज्यादा सेब भरा होता है जबकि कुछेक आढ़ती इसे छोटा बताकर कम दाम पर खरीद रहे हैं। कुमारसैन के बागवान विकास चौहान ने बताया कि नारकंडा में कुछेक आढ़ती पितू सेब को गड्ड में नहीं खरीद रहे। इससे बागवानों को नुक्सान हो रहा है। ठियोग के बागवान महेंद्र वर्मा व संजीव ने मांग की है कि यदि आढ़ती पितू सेब को गड्ड में नहीं खरीदना चाहते तो सेब को किलो के हिसाब से लेना शुरू करें।

देश की मंडियों में आढ़ती किलो के हिसाब से सेब बेचते हैं तो हिमाचल में 25 से 35 किलोग्राम की पेटी के 20 किलोग्राम के हिसाब से दाम दिए जा रहे हैं, वहीं भट्टाकुफर मंडी में भी कुछेक आढ़ती सेब की बोली लगाने से पहले बागवानों से पूछते हैं कि पितू सेब को ‘ए’ ग्रेड में बेचना है या ‘बी’ ग्रेड में बेचना चाहते हो। यह गैर-कानूनी है। ए.पी.एम.सी. के दिशा-निर्देशानुसार बागवान को सारा सेब गड्ड में बेचना होता है। जो बी ग्रेड होता है बागवान उसे पहले ही अलग करके मंडी में लाता है। ऐसे में छोटे सेब को बी ग्रेड बोलना बागवानों से धोखा है।

kirti