अब पैतृक संपत्ति की हो सकती है वसीयत : हाईकोर्ट
punjabkesari.in Tuesday, Aug 27, 2019 - 09:50 AM (IST)

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने पैतृक संपत्ति की वसीयत से जुड़े विवाद में स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी को पैतृक संपत्ति की वसीयत करने से रोके। मामले के अनुसार अपीलकर्तावादी राम सिंह ने प्रतिवादी चरण सिंह के खिलाफ दीवानी मुकद्दमा कायम कर सभी पक्षकारों को विवादित भूमि का संयुक्त मालिक घोषित करने की गुहार लगाई थी। वादी ने पैतृक संपत्ति की वसीयत को निरस्त करने की गुहार भी लगाई थी। वादी का कहना था कि वह उसके पिता विवादित भूमि की वसीयत नहीं कर सकते थे, क्योंकि वह एक पैतृक सम्पत्ति है। वादी ने वसीयत की कानूनी वैधता को भी चुनौती दी थी। प्रतिवादी के अनुसार वसीयतकर्ता चुरू उर्फ चुड सिंह ने वादी की शादी के लिए कर्ज लिया था जिसे लौटाने के लिए वादी ने अपने पिता की कोई मदद नहीं की।
यह रकम प्रतिवादी ने ही चुकाई। इतना ही नहीं वादी शादी के पश्चात अपने पिता से अलग रहने लगा था और उसने अपने पिता का कभी हालचाल जानने की जहमत तक नहीं उठाई। दूसरी तरफ प्रतिवादी ने वसीयतकत्र्ता का न केवल तन-मन से ख्याल रखा अपितु खेतीबाड़ी में भी उसका भरपूर साथ दिया। वसीयतकर्ता ने अपनी दो तिहाई भूमि वसीयत के माध्यम से प्रतिवादी के नाम कर दी थी। अधीनस्थ न्यायालयों ने वादी के दावे को खारिज कर दिया था जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने निचली अदालतों के फैसलों को उचित ठहराते हुए वादी की अपील को खारिज कर दिया।