अमरीका की Grid Technology से बनेगा शिमला-मटौर फोरलेन

punjabkesari.in Sunday, Mar 11, 2018 - 11:27 PM (IST)

शिमला: शिमला-मटौर फोरलेन में अमरीका की ग्रिड टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। शिमला-परवाणु फोरलेन पर हो रहे भारी भू-स्खलन और इससे होने वाले नुक्सान को देखते हुए एन.एच.ए.आई. ने ग्रिड हाईवे बनाने का फैसला लिया है। देश का यह पहला ग्रिड हाईवे होगा। हालांकि ज्वालामुखी से बिलासपुर के कांडी तक इसकी जरूरत नहीं है। नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एन.एच.ए.आई.) अधिकारियों की मानें तो बिलासपुर के ब्रह्मपुखर से शिमला तक जहां ऊंची पहाडिय़ां हैं, वहां पर ग्रिड टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। आसान शब्दों में कहें तो ग्रिड टैक्नोलॉजी में हाईवे की चारों लेन को समांनतर नहीं बनाया जाता बल्किकिसी पहाड़ी में पहली लेन नीचे बनाई जाती है फिर कुछ मीटर जगह छोड़कर दूसरी लेन बनाई जाती है। इसी तरह तीसरी और चौथी लेन का पहाड़ी की ऊंचाई पर निर्माण किया जाता है। इससे पहाड़ की ओर बनने वाली लेन ऊंची होने से भू-स्खलन कम होता है। 

ग्रिड टैक्नोलॉजी से बनने वाला देश का पहला हाईवे 
सूत्रों की मानें तो इसे लेकर एन.एच.ए.आई. कंसल्टैंट से बातचीत कर चुका है। शिमला से ब्रह्मपुखर के बीच अधिक ऊंची पहाडिय़ों पर इस तकनीक से हाईवे बनाया जाएगा। जानकारों की मानें तो इस तकनीक के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी कम नुक्सान होता है। ग्रिड टैक्नोलॉजी से बनने वाला देश का यह पहला हाईवे होगा। अब तक अमरीका, चीन व जापान जैसे विकसित देश इस तकनीक का इस्तेमाल कर सड़कें बनाते आए हैं। शिमला-मटौर फोरलेन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में भी ग्रिड हाईवे का जिक्र किया गया है। ग्रिड टैक्नोलॉजी से सड़क बनाने पर पहाड़ी पर ढलान भी 45 डिग्री से ज्यादा नहीं बनता। पहाड़ों पर 45 डिग्री से ज्यादा की ढलान बारिश के दौरान भारी नुक्सान का खतरा बन जाता है। प्रदेश में बन रहे अन्य फोरलेन प्रोजैक्ट में गहरी कटिंग के कारण पहाड़ खोखले हो रहे हंै, जोकि बरसात में विनाश का कारण बनते हैं लेकिन ग्रिड टैक्नोलॉजी से पहाड़ों पर भी सुरक्षित ढंग से कटिंग संभव होगी।

यहां बनेंगे बाईपास 
1. धर्मशाला-शिमला फोरलेन में घणाहट्टी के समीप लगभग 1600 मीटर का बाईपास तैयार किया जाएगा। जिसके अंतर्गत 2 टनल भी आएंगी। 
2. दाड़लाघाट में 14 किलोमीटर लम्बा बाइपास बनाया जाना प्रस्तावित है जो शालाघाट से दानोघाट-पीपलुघाट को जोड़ता हुआ भराड़ीघाट पहुंचेगा। 
3. घुमारवीं में नगरीय क्षेत्र से बाहर बाईपास का निर्माण होगा। यह बाईपास लगभग 6 किलोमीटर लंबा होगा।
4. हमीरपुर में भी बाईपास का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। भोटा के निकट बनने वाला यह बाईपास सलासी तक बनेगा। 
5. नादौन से गगाल को मझीण चौक से जोडऩे के लिए बाईपास बनाया जाना प्रस्तावित है। लगभग अढ़ाई किलोमीटर लंबे इस बाईपास में एक टनल भी बनाई जाएगी।
6. कांगड़ा जनपद के अंतर्गत दौलतपुर में टनल के पास से बाईपास का निर्माण करवाया जाएगा जो लगभग 2 किलोमीटर लंबा होगा। कांगड़ा बाईपास के माध्यम से डा. राजेंद्र प्रसाद मैडीकल कालेज अस्पताल को जोड़ा जाएगा। 

यहां बनेंगी सुरंगें
कांगड़ा टनल के साथ नई टनल का निर्माण किया जाएगा जो लगभग पौने 200 मीटर लंबी होगी। शिमला में अंतर्राज्यीय बस अड्डे के समीप से हीरानगर तक 3 छोटी-छोटी टनल का निर्माण किया जाएगा जो लगभग अढ़ाई किलोमीटर लंबी होगी। घनाटी में भी 2 टनल बनाई जाएंगी जिनकी लंबाई साढ़े 700 मीटर होगी। दाड़लाघाट के समीप लगभग साढ़े 3 किलोमीटर की टनल बनाई जाएगी जो दानोघाट को पीपलु घाट को जोड़ेगी। हमीरपुर में नादौन के समीप भी टनल बनाई जाएगी। यह टनल ब्यास पुल को गगाल से जोड़ेगी। इस टनल की लंबाई सवा 600 मीटर होगी। 

5 भागों में विभाजित फोरलेन का काम
5 भागों में विभाजित किए गए इस फोरलेन का पहला चरण कछियारी बाईपास से ज्वालामुखी तक का है, जिसके टैंडर का भूमि अधिग्रहण का काम एस.डी.एम. कांगड़ा, देहरा व ज्वालामुखी देखेंगे। 5 भागों में मटौर से ज्वालामुखी, ज्वालामुखी से हमीरपुर, हमीरपुर से घुमारवीं, कंदरौर से भराड़ीघाट व भराड़ीघाट से शिमला तक फोरलेन का कार्य होगा। करीबन 40-40 किलोमीटर का पैकेज तैयार किया गया है, जिसमें हर पैकेज पर करीब 1-1 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।  

फोरलेन से डिस्टर्ब नहीं होंगे 5 जिलों के शहर
शिमला-मटौर फोरलेन प्रदेश के 5 जिलों कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन व शिमला से होकर गुजरेगा। परियोजना के मुताबिक शहरों को बिना उजाड़े इन्हें फोरलेन से जोड़ा जाएगा जिसके लिए शहरों के लिए डबललेन संपर्क मार्ग बनाने की प्रपोजल है, जिसमें मुख्य शहरों व बड़े संस्थानों को शामिल किया गया है।

घुमावदार सड़कें सीधी होंगी
धर्मशाला -शिमला फोरलेन में घुमावदार सड़कों को सीधा करने तथा नगरीय व आवासीय क्षेत्रों को विस्थापन से बचाने के लिए कई टनल तथा बाईपास का निर्माण भी किया जाएगा। फोरलेन की जद्द से सभी नगरीय क्षेत्रों को बाहर रखने की भी योजना तैयार की गई है।

322 गांवों से गुजरेगा फोरलेन
जानकारी के अनुसार शिमला-मटौर फोरलेन 5 जिलों के 322 गांवों से होकर गुजरेगा, जिसमें हमीरपुर के 127, बिलासपुर के 49, शिमला के 29, सोलन के 35 व कांगड़ा के 82 गांव चिह्नित किए गए हैं।

खास बातें 
1. इस फोरलेन के बन जाने के बाद शिमला से मटौर के बीच की दूरी करीब 22 किलोमीटर कम होगी।
2. वर्तमान में शिमला से धर्मशाला पहुंचने में 7 से 8 घंटे लगते हंै लेकिन फोरलेन बनने के बाद राजधानी से धर्मशाला पहुंचने में एक से डेढ़ घंटा कम वक्त लगेगा। 
3. एन.एच.ए.आई. ने जमीन अधिग्रहण के साथ-साथ फोरलेन का काम शुरू करने का फैसला लिया है ताकि यह प्रौजेक्ट समय पर पूरा किया जा सके। 
4. अप्रैल, 2018 से फोरलेन का निर्माण कार्य शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
5. 5 जिलों के लोगों को भी इसका सीधा-सीधा लाभ मिलेगा। 
6. लगभग 223 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन के निर्माण पर 5000 करोड़ की धनराशि व्यय की जाएगी।
7. शिमला-धर्मशाला के मध्य फोरलेन प्रदेश की 2 राजधानी के मध्य आवागमन का प्रमुख साधन बनेगा
8. कछियारी से धर्मशाला तक की 15 किलोमीटर की दूरी को डी.पी.आर. से बाहर रखा गया है।

3 साल में करना होगा काम
एन.एच.ए.आई. ने पहले चरण के लिए कछियारी बाईपास से ज्वालामुखी का टैंडर भी आमंत्रित कर दिया है। इसके लिए 10 मार्च तक निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। जल्द ही इन निविदाओं को खोला जाएगा। पहले चरण का टैंडर लगभग 968 करोड़ का बताया जा रहा है। टैंडर लेने वाली प्रत्येक फर्म को 3 साल के भीतर फोरलेन का काम पूरा करना होगा। 
 


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