हिमाचल में 18 से कम उम्र के बच्चे AIDS के शिकार

Friday, Nov 23, 2018 - 09:48 AM (IST)

शिमला (जस्टा): प्रदेश भर में भले ही एड्स पर काबू पाने के लिए सरकार और एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा कड़े कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन सोचने का विषय तो यह है कि 0 से 18 साल के बच्चे भी अब एड्स की चपेट में आ रहे हैं। ए.आर.टी. सैंटर की अगर बात की जाए तो यहां पर 300 के करीब बच्चों के नाम दर्ज हुए हैं, जिनमें एड्स की बीमारी फैली हुई है। बच्चों में एड्स का मुख्य कारण यह है कि मां अगर सुरक्षित नहीं है तो बच्चों में एड्स होना बिल्कुल तय है। अगर किसी बच्चे की मां एड्स से पीड़ित है और वह समय से अपना इलाज नहीं करवाती है तो बच्चों में एड्स होने की अधिक संभावना होती है। इसलिए चिकित्सकों द्वारा यही तर्क दिया जा रहा है कि महिलाओं को जैसे ही एड्स के लक्षण दिखते हैं तो वे समय से अस्पताल जाकर अपना चैकअप करवाएं। 

हिमाचल में अभी भी 4,200 के करीब मरीज एड्स से पीड़ित

खासकर गर्भवती महिलाओं को इसका ध्यान रखना होगा। हिमाचल में अभी भी 4,200 के करीब मरीज एड्स से पीड़ित हैं। जिनके ए.आर.टी. सैंटर में नाम दर्ज हैं और दवाइयां खा रहे हैं। ऐसा नहीं कि हिमाचल में एड्स के मामलों में बढ़ौतरी हो रही है। 2010 की अपेक्षा एड्स के मामलों में 25 प्रतिशत की कमी आई है। प्रदेश में 1 दिसम्बर को एड्स दिवस मनाया जाता है, जिसमें एड्स के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। चिकित्सक का कहना है कि एड्स दिवस पर तो लोग जागरूक होते ही हैं लेकिन अगर हर समय लोग इस बीमारी से अलर्ट रहें तो अवश्य ही हिमाचल एड्स मुक्त हो जाएगा। 2015 में 5,700 और 2016 में 3,148 मरीज एड्स की चपेट में आए थे, वहीं पिछले साल एड्स के मामलों में थोड़ी बढ़ौतरी हुई थी। इस साल फिर से कमी आई है। भारत की अगर बात की जाए तो हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में एड्स के सबसे कम मामले हैं, बाकी राज्यों में एड्स के मामलों में बढ़ौतरी हुई है। 

दवाइयां मुफ्त, आना-जाना भी फ्री 

स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की तरफ से ऊना, बिलासपुर, मंडी, टांडा, शिमला व हमीरपुर में ए.आर.टी. सैंटर खोले गए हैं, जहां पर एड्स से पीड़ितों को नि:शुल्क दवाइयां दी जाती हैं। यहां सबसे बड़ी बात तो यह है कि सोसायटी की तरफ से एड्स से पीड़ित मरीजों को घर से आने-जाने का खर्च भी दिया जाता है। इसलिए मरीजों के लिए यह राहत भरी खबर है। 

Ekta