बार लाइसैंस की फीस में की गई बढ़ौतरी का विरोध

Monday, Apr 08, 2019 - 11:32 AM (IST)

शिमला (प्रीति): प्रदेश सरकार द्वारा बार लाइसैंस की फीस में की गई बढ़ौतरी का टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स एसोसिएशन ने विरोध किया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने बार फीस को 50 प्रतिशत तक बढ़ाया है, ऐसे में बार मालिकों को बार का संचालन करना मुश्किल हो रहा है। इससे प्रदेश में होटलों तथा रेस्तरां में बार की सुविधा बंद होने की कगार पर है। पदाधिकारियों का कहना है कि इसका सीधा असर प्रदेश के पर्यटन पर भी पड़ेगा। नई पॉलिसी के अंतर्गत 30 कमरों तक के होटल में बार सुविधा देने वाले होटलों को जहां पिछले वर्ष 1,25,000 हजार रुपए सालाना बार लाइसैंस फीस देनी पड़ती थी, वहीं इस वर्ष उन्हें 1,90,000 रुपए फीस देनी होगी। इसी प्रकार जिन रेस्तरां में बार की सुविधा दी जाती है, उन्हेंं जहां पिछले वर्ष 250,000. रुपए सालाना फीस देनी पड़ती थी, इस वर्ष सरकार ने इसे 3,75,000 रुपए सालाना कर दिया गया है। 

बार मालिकों का सालाना कोटा भी बढ़ाया

इस बार सरकार ने बार मालिकों का शराब का कोटा भी बढ़ाया। पिछले वर्ष इन्हें एक साल के लिए 250 पेटियां खरीदना अनिवार्य था, जो अब सरकार ने 280 शराब की पेटियां कर दी है। ऐसे में सरकार की ये शर्त भी बार मालिकों पर भारी पड़ रही है। यदि बार संचालक ये कोटा एक साल में बेच नहीं पाता तो उसे इसका जुर्माना भरना पड़ेगा। ये जुर्माना 5 हजार से 50 हजार तक हो सकता है, जबकि सालाना ये कोटा भी बार मालिकों को लाखों में पड़ रहा है। टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर एसोसिएशन के प्रधान महेंद्र सेठ का कहना है कि बार की सेल होटल की ऑक्युपेंसी पर निर्भर करती है। होटलों की बार का इस्तेमाल बाहर से आने वाले पर्यटन कम ही करते है। इसके अलावा जो होटल शहर से बाहर है, उनकी ऑक्युपेंसी और भी कम होती है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि होटलों तथा रेस्तरां में संचालित बार की लाइसैंस फीस में कटौती की जाए और होटलों तथा रेस्टोरैंटों के बार के लिए 280 पेटी शराब (मिनिमम गारंटी लिफ्टिंग) की खरीद के प्रावधान को खत्म किया जाए।

Ekta