हाल-ए-हिमाचल: आचार्य का लाट साहब हो जाना

Thursday, Dec 06, 2018 - 03:19 PM (IST)

 

शिमला (संकुश): बार्नेस कोर्ट यानी आज के राज भवन में जब आचार्य देवव्रत का पहला कदम पड़ा था तो उस समय देश भर में राजभवनों की उपयोगिता पर तगड़ी बहस छिड़ी हुई थी। हिमाचल से ही शांता कुमार ने इस मुहिम के समर्थन में लेख तक लिखे, बयान दिए कि ऐसी व्यवस्था की कोई जरूरत नहीं। यह जनता पर बोझ है। खैर आचार्य ने आते ही राज भवन की मधुशाला बंद करवा दी। राज भवन के समारोहों में मांस परोसने पर रोक लगा दी। अंग्रेजों के जमाने की इन व्यवस्थाओं का बदलना कईयों को अखरा, लेकिन फैसले जनहित वाले थे इसलिए आम जनता में जब यह बात पहुंची तो आचार्य के समर्थन में जनभावनाओं का पहाड़ खड़ा हो गया।

शिक्षकों को स्कूलों में नशे के खिलाफ अभियान चलाने के लिए दिए निर्देश

आचार्य ने अगला धावा शिक्षक दिवस पर बोला जब उन्होंने शिक्षकों को स्कूलों में नशे के खिलाफ अभियान चलाने के लिए निर्देश दिए। साफ कहा गया कि शिक्षकों की ढील न हो तो यह व्यापार पनपे ही नहीं। उसके बाद अकसर आचार्य चर्चा में रहने लगे। उन्होंने एक के बाद एक ऐसे काम किए कि जनता का दिल जीत लिया। एक बार आचार्य ने बताया था कि जब वे हरियाणा में समाजसेवा कर रहे थे तो खुद आश्रम के बच्चों के लिए अनाज जुटाने पैदल गांव-गांव जाते थे। पीठ पर अनाज के बोरे ढोये हैं। यह आचार्य देवव्रत की अनवरत साधना का ही परिणाम था कि आज हरियाणा में उनका प्रकल्प हर किसी की प्रशंसा का पात्र बना हुआ है। इधर शिमला की जल समस्या को लेकर आचार्य दो बार जलपुरुष राजेंद्र सिंह को बुलाकर हालात से वाकिफ करवा चुके हैं। यही नहीं प्रदेश को वे आजकल जीरो बजट खेती देने में लगे हुए हैं ताकि किसानों को बिना पैसा लगाए आर्थिक लाभ मिल सके।

कईयों के गले नहीं उतर रही यह बात 

जीरो बजट खेती को लेकर इतना प्रचार हुआ है जितना जयराम सरकार के एक साल के कार्यकाल में अभी तक किसी दूसरी योजना का नहीं हुआ है। लेकिन कहते हैं कि खुदा जब हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है। ऐसा ही हुआ। सब ठीक चल रहा था कि अचानक राज्यपाल के लिए खरीदी जाने वाली आलीशान कार बीच में आ गई। पता चला कि राज्यपाल के लिए एक करोड़ की मर्सडीज कार खरीदी गई है। जनता सन्न ?? क्योंकि जो आदमी उन्हें जीरो बजट खेती सिखा रहा था वही इतनी फिजूलखर्ची करेगा यह किसी ने सोचा ही न था। बात अभी भी कईयों के गले नहीं उतर रही, लेकिन हकीकत यह है कि कार खरीद का मामला सही है। अब जनता यह देखने को बेताब है कि अगली बार आचार्य जब जीरो बजट खेती पर भाषण झाड़ने उसी एक करोड़ी कार में आएंगे ???



 

Ekta