कांगड़ा में एक ही परिवार के 7 लोगों ने एक साथ दी कोरोना को मात
punjabkesari.in Friday, Jun 04, 2021 - 11:55 AM (IST)

डाडासीबा (सुनील): कोरोना के इस संकट काल में एक ही परिवार के 7 लोागों ने एक साथ कोरोना को हराकर सबको एक प्रेरणा देने का कार्य किया है। डाडासीबा तहसील के अंतर्गत पड़ने वाले सुदूर गांव अप्पर भलवाल में रहने वाला परिवार अपने हौसलें, स्वास्थ्य विभाग की त्वरित सहायता और गांव वालों के सतत सहयोग के कारण महामारी को मात दे पाया। परिवार से संबंध रखने वाली शिवानी राणा बताती है कि वह चंडीगढ़ में सॉफटवेयर इंजीनियर के तौर पर काम करती हैं और पिछले महीने अपने घर अप्पर भलवाल वापिस लौटीं थी।
घर लौटने के बाद शुरुआती लक्ष्ण आने पर उन्होंने तुरंत अपनी कोरोना जांच कराई जिसमें वह पॉजिटिव निकली। उसके तुरंत बाद स्वास्थ्य विभाग ने परिवार के अन्य सभी सदस्यों को भी कोरोना जांच के लिए बुलाया। रिपोर्ट में उनके परिवार में 11 में से 7 लोग संक्रमित पाए गए जिनमें वह स्वयं, उनकी छोटी बहन शालिणी राणा, मां प्रीतो राणा, चाची वीना देवी, चचेरी बहनें अंजलि ठाकुर, रिया ठाकुर व 12 वर्ष का चचेरा भाई आरुष ठाकुर थे। परिवार में 11 में से 7 लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद उन सबने अपने आप को घर के एक हिस्से में आईसोलेट कर दिया। उन्होंने बताया कि उनके पास 2 विकल्प थे या तो सब हिम्मत हार के बैठ जाते या सभी एक-दूसरे की हिम्मत को बढ़ाते। उन्होंने दूसरा विकल्प चुना और सब एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार का महत्व उन्हें ऐसे समय में पता चला।
आशा कार्यकर्ताओं ने दवाईंयों की किट पहुंचाई
शिवानी राणा ने बताया कि संक्रमित होने के तुरंत बाद आशा कार्यकर्ताओं ने उनके घर सभी लोगों के लिए दवाईयों की किट पहुंचाई। उनका घर क्योंकि दूरस्थ क्षेत्र में पड़ता है इसलिए उन्हें हमेशा डर रहता था कि आपात समय में डाॅक्टर तक कैसे पहुंचेगे। उन्होंने कहा उनके परिवार को डाडासीबा अस्पताल से डॉ. हिमांशु देख रहे थे और उनसे दिन में 2 बार बात होती थी। वह सबकी पूरी विस्तृत जानकारी लेने के बाद सबके लिए दवाईयां एवं उपचार की विधियां बताते थे और जरूरत पड़ने पर आशा कार्यकर्ता दवाईयां घर पहुंचा जाती थीं। उन लोगों ने दिन में 2 बार योग एवं प्राणायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया था जिससे उन सबको सर्वाधिक लाभ मिला। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताई गई हर उपचार विधि का वह पालन करते थे। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त नायब तहसीलदार डाडासीबा अभिराय ङ्क्षसह ठाकुर भी इस दौरान उनके घर 2 बार आए और समय पर फोन पर संपर्क करते और सहायता के लिए पूछते रहते थे।
गांव वालों ने करवाया पूरे सप्ताह भोजन
कोरोना में जहां बहुत से लोग संक्रमित होने पर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से दूरी बना रहे हैं तो वहीं अप्पर भलवाल के गांव वासियों ने भी ऐसे समय में एक मिसाल कायम की। शिवानी बताती हैं कि वह 7 लोग होने की वजह से स्वयं भोजन बनाने में सक्षम थे लेकिन 2 दिन बाद उनके शरीर में इतनी कमजोरी आने लगी कि वह लोग उठने में भी असमर्थ थे जिस कारण उन्होंने दूसरे दिन सुबह केवल ब्रेड खाकर गुजारा किया। जब उन्होंने पंचायत प्रधान बीरबल और पंच सतीश कुमार को इस बारे में बताया तो उन्होंने भोजन की चिंता छोड़ते हुए उन्हें केवल आराम करने की बात कही। उसके बाद पूरे एक सप्ताह तक उन 7 लोगों का 3 समय का भोजन गांव के लोगों ने बनाकर भेजा। शिवानी बताती हैं कि वो दिन बहुत कठिन थे। उनमें से बहुत से लोगों का स्वास्थ्य बिगड़ा भी जिसमें उनकी चाची वीना देवी का बुखार और खांसी 20 दिन तक नहीं गया। उसके बावजूद वह सब लोग कोरोना से जंग जीत गए। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन, गांव वालों के सहयोग और संयुक्त परिवार के महत्व को वह लोग कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि कोरोना से जीता जा सकता है, बस लोग लक्षण आने पर समय से जांच कराएं और यदि संक्रमित हो जाए तो पूरी हिम्मत रखें और आस-पड़ोस के लोग हमारे गांव और परिवार की तरह संक्रमित व्यक्ति की पूरी चिंता करें।