48KM कम हो जाएगी मंडी से पठानकोट फोरलेन की दूरी, हजारों लोग होंगे बेघर

Wednesday, Feb 20, 2019 - 11:24 AM (IST)

मंडी (नीरज): पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़कें ही यातायात का मुख्य साधन हैं। यहां रेल और हवाई सेवाएं इतनी सुदृढ़ नहीं कि इनका अधिक इस्तेमाल किया जा सके। यही कारण है कि अब प्रदेश में टूलेन और फोरलेन सड़कों के निर्माण पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। बात अगर पठानकोट से मंडी तक बनने वाले फोरलेन की करें तो यह सुरक्षा के साथ-साथ पर्यटन के लिहाज से भी खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 1999 में इसी सड़क मार्ग से सेना का सामान लेह तक पहुंचाया गया था। मनाली तक फोरलेन बनने से सेना को सीमा तक पहुंचने में काफी मदद मिलेगी। अभी पठानकोट से मंडी की दूरी 219 किमी है जबकि फोरलेन बनने के बाद यह दूरी 48 किमी कम होकर सिर्फ 171 किमी ही रह जाएगी।

इसमें तीन सुरंगों का निर्माण होगा जिसमें कांगड़ा जिला में 7.2 किमी लंबी सुरंग बनेगी जबकि मंडी शहर के पास बिजनी से मंडी तक सुरंग बनाई जाएगी। वहीं कांगड़ा जिला के परौर से मंडी जिला के चौंतड़ा तक सबसे लंबा 33 किमी का बाईपास बनाया जाएगा। इस पूरे प्रोजैक्ट पर 8 हजार करोड़ की राशि खर्च की जाएगी और इसका निर्माण कार्य लोकसभा चुनावों से पहले शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। मंडी के सांसद राम स्वरूप शर्मा का कहना है कि यह फोरलेन सुरक्षा और पर्यटन की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण होगा। कांगड़ा, मंडी और कुल्लू जिलों के लिए जाने वाले पर्यटक फोरलेन निर्माण के बाद बेहतर सड़क सुविधा का आनंद उठा पाएंगे और इससे अधिक पर्यटक प्रदेश की तरफ आकर्षित होंगे। उन्होंने बताया कि औपचारिकताओं को पूरा किया जा रहा है और जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

पठानकोट से मंडी तक बनने वाले फोरलेन के कारण हजारों लोगों को विस्थापन का दंश भी झेलना पड़ेगा। हजारों परिवार घर से बेघर हो जाएंगे और कई लोगों को भूमिहीन होना पड़ेगा। मंडी जिला के लोग फोरलेन निर्माण के हक में हैं और यह चाहते हैं कि प्रभावितों को उचित मुआवजा और सारी सुविधाएं प्रदान की जाएं। वहीं मंडी जिला के लोग अभी तक यह भी नहीं जान पाएं कि फोरलेन निर्माण में किस-किस जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। मंडी निवासी पवन कुमार और कृपाल सिंह का कहना है कि ग्रामीणों का यह पहले ही बताया जाए कि किस-किसकी जमीन का अधिग्रहण होना है ताकि विस्थापित होने वाले अपने भविष्य के बारे में सोच सकें। बहरहाल लोकसभा चुनावों को अब थोड़ा ही समय शेष बचा है और ऐसे में इस फोरलेन निर्माण को शुरू करना सरकार के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं। लेकिन उससे भी बड़ी चुनौती उनके लिए होने वाली है जो अपने आशियाने और जमीनें इस निर्माण की भेंट चढ़ाने वाले हैं।

Ekta