कालका-शिमला रेल ट्रैक पर फिर दौड़ा 117 साल पुराना ‘स्टीम इंजन’

Wednesday, Dec 26, 2018 - 03:17 PM (IST)

शिमला (योगराज): शिमला-कालका वर्ल्ड हेरिटेज ट्रैक पर बुधवार को तीसरी बार 117 साल पुराना ‘स्टीम इंजन’ विदेशी पर्यटकों की मांग पर छुक-छुक कर दौड़ा। भाप इंजन से निकलने वाली छुक-छुक की आवाज पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहती है। भाप इंजन से शिमला से कैथली घाट 22 किलोमीटर तक के सफर में हसीन वादियों का पर्यटकों ने खूब आनंद उठाया। कालका-शिमला रेल मार्ग 100 साल से भी अधिक पुराना ट्रैक है। इस ट्रैक को वर्ष 2008 में यूनैस्को ने तीसरी रेल लाइन के रूप में विश्व धरोहर में शामिल किया था।

स्टीम इंजन ने खींची 2 बोगियां

देवदार के हरे-भरे पेड़ों के बीच चले इस इंजन ने 2 बोगियां खींची। धुएं का गुब्बार छोड़ते हुए स्टीम इंजन के साथ विदेशी मेहमानों ने भी सफर का खासा आनंद लिया। पर्यटकों ने इसे 1.10 लाख रुपए में बुक करवाया था। कालका-शिमला रेलवे के मुख्य निरीक्षक वाणिज्य अमर सिंह ठाकुर ने कहा कि इंगलैंड के पर्यटकों ने स्टीम इंजन बुक करवाया है। स्टीम इंजन के साथ 14-14 सीटों वाले 2 कोच लगाकर इसे शिमला रेलवे स्टेशन से रवाना किया गया। पॉल ट्रैवल द्वारा इस स्टीम इंजन की बुकिंग करवाई गई थी।

50 रुपए में बाबा भलकू संग्राहलय घूमने का लुफ्त उठा रहे लोग

विदेशी पर्यटकों के ट्रैवल एजेंट ने बताया कि वह हर साल विदेशी पर्यटकों के लिए स्टीम इंजन बुक करवाते हैं। इस बार भी उन्होंने इंगलैंड के पर्यटकों के लिए इंजन की बुकिंग की है। विदेशी पर्यटक इस सफर को बहुत पसंद कर रहे हैं। वहीं कालका-शिमला रेलवे के मुख्य निरीक्षक वाणिज्य ने बताया कि शिमला रेलवे स्टेशन से बस स्टैंड बाबा भलकू संग्रहालय तक चलाई जा रही ट्रेन का भी पर्यटक काफी आनंद उठा रहे हैं। पर्यटक केवल 50 रुपए में सफर के साथ संग्रहालय में भी घूमने का आनंद उठा सकते हैं।

9 नवम्बर, 1903 को शिमला पहुंची थी पहली ट्रेन

बता दें कि शिमला-कालका रेल लाइन को यूनैस्कों की ओर से विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया है। वर्ष 1903 में बिछाई गई 96 किलोमीटर कालका-शिमला रेललाइन में 102 सुरंगें, 800 पुल और 18 रेलवे स्टेशन हैं। शिमला में पहली ट्रेन 9 नवम्बर, 1903 को पहुंची थी। ये स्टीम इंजन कालका-कैथलीघाट के बीच 1905 में पहली बार चलाया गया था। इस ट्रैक पर वर्ष 1970 तक भाप इंजन ही चलते थे। इसके बाद डीजल इंजन आने पर भाप इंजन बंद हो गए लेकिन धरोहर के रूप में अब भी उत्तर रेलवे ने कुछ भाप इंजन को संभाल कर रखा हुआ है।

Vijay