सैल्फी लेते वक्त खाई में गिरा 7 साल का मासूम

punjabkesari.in Monday, Apr 24, 2017 - 05:34 PM (IST)

शिमला : राजधानी के उपनगर कंलोग में चंडीगढ़ से शिमला आए 7 साल के मासूम को रेलिंग किनारे सैल्फी लेना भारी पड़ा गया। मासूम जब मोबाइल से सैल्फी खींच रहा था तो अचानक उसका पांव फिसल गया और वह 500 फुट गहरी खाई में गिर गया। स्थानीय लोगों ने उसी समय मासूम को उपचार के लिए आई.जी.एम.सी. में दाखिल करवाया, जहां मासूम की हालत गंभीर बनी हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ से शिमला किसी समारोह में शामिल होने आए एक दम्पति का बेटा पवन जब सोमवार सुबह 9 बजे कंलोग में रेङ्क्षलग किनारे खड़े होकर सैल्फी ले रहा था तो उसकी ओर किसी भी व्यक्ति का ध्यान नहीं था। स्थानीय लोगों ने जब मासूम को खाई में गिरा पड़ा देखा तो मौके पर मौजूद पूर्ण नामक व्यक्ति ने उसकी सुध ली। पवन को शरीर व सिर में चोटें आई हैं। मासूम की स्थिति को गंभीर देखकर पूर्ण ने 108 एम्बुलैंस को फोन किया लेकिन 108 में मौजूद अधिकारी बार-बार फोन काटते रहे। आखिर में पूर्ण ने निजी गाड़ी में पवन को आई.जी.एम.सी. पहुंचाया। अस्पताल में चिकित्सकों ने मासूम की हालत खतरे में बताई है और चिकित्सक मासूम को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल मासूम को आपातकालीन वार्ड में भर्ती करवाया गया है। 

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आई.जी.एम.सी. में खराब पड़ी लिफ्ट 
आई.जी.एम.सी. में हर हफ्ते के बाद लिफ्ट खराब होती है। पहले तो प्रशासन लिफ्ट के खराब होने की पुष्टि नहीं करता है लेकिन प्रशासन की सच्चाई की पोल तभी खुलती है जब कोई गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचता है और उसको एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसा उदाहरण दिन के समय आई.जी.एम.सी. में तब सामने आया जब मासूम बच्चे को गिरने से चोट आई थी और उसे आई.जी.एम.सी. में लिफ्ट के माध्यम से चिकित्सक के पास ले जाना था लेकिन लिफ्ट खराब होने के चलते तीमारदारों को उसे स्ट्रेचर पर लेटाकर ले जाना पड़ा। ऐसे में एक तरफ समय अधिक लगा तो दूसरी ओर मरीज को परेशानी भी हुई। आई.जी.एम.सी. में मरीजों को सुविधा देने को लेकर प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है।   

एक बच्चे के गिरने का मामला हमारे पास आया है। चिकित्सक उसका इलाज कर रहे हैं। मासूम को आपातकालीन वार्ड में रखा गया है। मासूम की हालत अब स्थिर है। अस्पताल में उपचार के हर साधन उपलब्ध हैं। चिकित्सक द्वारा मरीज का इलाज प्रमुखता से किया जा रहा है। 
 डा. रमेश चंद, एम.एस. आई.जी.एस.मी. 


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