हिमाचल के हजारों सहजधारी सिखों को लगा बड़ा झटका!

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2016 - 01:47 PM (IST)

संतोषगढ़ (ऊना): राष्ट्रपति से सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम 2016 को मंजूरी मिलने से हिमाचल के हजारों सहजधारी सिखों को बड़ा झटका लगा है। हैरानी की बात तो यह है कि अब सिख पंथ की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एस.जी.पी.सी.) के चुनाव में मतदान नहीं कर सकेंगे। एस.जी.पी.सी. के लिए हिमाचल से भी एक सदस्य चुना जाता है। जानकारी के मुताबिक 2011 के एस.जी.पी.सी. चुनाव में अकाली दल बादल से संबंधित सरदार दलजीत सिंह भिंडर यहां से सदस्य चुने गए थे।


प्रदेश के 8 जिलों ऊना, सोलन, कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू , लाहौल स्पीति और मंडी जिलों में लगभग 24,000 सिख मतदाता हैं। इतना ही नहीं सहजधारियों के साथ-साथ धूम्रपान और शराब पीने वाले सिख भी पंथ से जुड़े धार्मिक निकायों के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं।


बताया जा रहा है कि प्रदेश में कुल 24 हजार सिख मतदाता हैं, जिनमें से 8 से 10 हजार सहजधारी हैं। गौरतलब है कि एस.जी.पी.सी. के लिए वर्ष 2004 एवं 2011 के चुनावों में सहजधारी सिखों को संस्था के चुनाव में वोट के हक से रहित कर दिया गया था। इस पर सहजधारी सिख सुप्रीम कोर्ट चले गए। अब इसी बीच विधेयक पारित होने से सहजधारियों को तगड़ा झटका लगा है। 


गुरु घर से जुड़ी है सहजधारी सिखों की आस्था
सहजधारी सिखों में शामिल एवं जिला परिषद के उपाध्यक्ष रहे अवतार सिंह का कहना है कि भाजपा एवं अकाली दल ने सिखों को दो गुटों में बांटने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि चाहे सिख सहजधारी हैं लेकिन उनकी आस्था गुरु घर से जुड़ी है। 


सहजधारियों में ये सिख हैं शामिल
सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम 2016 के मुताबिक ऐसे सिख जिन्होंने अपने केश कटवा लिए हैं और जो शराब या धूम्रपान करते हैं, वे सहजधारी माने जाएंगे। हालांकि केश कटवाने वाले सिखों ने गुरु घर की आस्था की दलील देते हुए पूर्व में इस फैसले को चुनौती थी। जिस पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। 


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