आज के दिन इस किंकरी देवी ने खनन माफिया से लड़कर कायम की थी मिसाल (PICS)
punjabkesari.in Wednesday, Dec 30, 2015 - 02:02 PM (IST)
श्री रेणुका जी: राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी ने 30 दिसम्बर, 2007 को आखिरी सांस ली थी और इस दुनिया को अलविदा कह गई थी। निरक्षर होते हुए भी उन्होंने पर्यावरण के लिए जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता। अपना सारा जीवन किंकरी देवी ने पर्यावरण संरक्षण में लगा दिया। पहाड़ों का सीना छलनी होते वह नहीं देख सकी और खनन से होने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए उन्होंने प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा उठाया जिसके बाद फोरैस्ट एक्ट किंकरी देवी के नाम पर बना और 107 के लगभग खदानें बंद हुईं।
अनपढ़ होते हुए भी उन्होंने जो किया वह आज भी मिसाल है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 1998 में चीन की राजधानी बिजींग में उन्हें सम्मानित भी किया गया था। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी आजीवन उपेक्षा का शिकार रहीं। तंग हाल में सारा जीवन गुजारते हुए वह ताउम्र खनन माफिया के खिलाफ लड़ती रही।
प्रशासन उनके लिए कुछ भी नहीं कर पाया
सरकार व प्रशासन न तो उसके जीते जी कुछ कर पाया और न ही उसके निधन के बाद। आज तक संगड़ाह में उसके नाम का स्मारक तक नहीं बन पाया है जिससे स्थानीय लोगों में रोष है। किंकरी देवी के नाम से बनाए जाने वाले पार्क का कार्य भी सिरे नहीं चढ़ पाया है। 30 दिसम्बर को उसकी पुण्यतिथि पर एक बार फिर स्थानीय लोग उसे गर्व से याद करेंगे।

