नन्हें-मुन्नों के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट, यहां नहीं मिल रही विटामिन ‘ए’ की दवा

Wednesday, Oct 12, 2016 - 01:02 PM (IST)

सोलन: बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है और सोलन जिला सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसी देश के भविष्य के स्वास्थ्य पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। सोलन में विभाग के पास पिछले 4 माह से विटामिन ए की दवा ही नहीं है। इसके अलावा अन्य जिलों में भी इसका संकट बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 5 वर्ष तक के बच्चों को टीकाकरण के समय पिलाई जाने वाली विटामिन ‘ए’ की दवा क्षेत्रीय अस्पताल सोलन सहित जिला के अन्य टीकाकरण केंद्रों में उपलब्ध नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई महीने में दवा का स्टॉक समाप्त होने से पहले ही कंपनी को दवा उपलब्ध करवाने का ऑर्डर दे दिया था लेकिन यह ऑर्डर अभी तक पूरा नहीं किया गया है। 


जानकारी के अनुसार 1-2 ही दवा निर्माता कंपनियां विटामिन ‘ए’ की दवा बनाती हैं और जिस दवा निर्माता कंपनी को दवा भेजने के लिए ऑर्डर दिया गया था उसका दवा का पूरा बैच खराब हो गया तथा अब दूसरा बैच तैयार किया गया है। इसके कारण दवा अभी तक विभाग को नहीं मिल पाई है। क्षेत्रीय अस्पताल में जुलाई महीने से विटामिन ए का स्टॉक उपलब्ध नहीं है और कुछ समय तक तो आंगनबाड़ियों में उपलब्ध थोड़ी-बहुत दवा से काम चलाया गया लेकिन अब कहीं भी दवा उपलब्ध नहीं है। सरकारी अस्पतालों में यह दवा नि:शुल्क मिलने के कारण कैमिस्ट की दुकानों में भी यह नहीं मिल पाती है। क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में हर महीने करीब 500 से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। सोलन शहर के अलावा सिरमौर व शिमला जिला के सीमावर्ती क्षेत्रों के अभिभावक भी सोलन अस्पताल में टीकाकरण करवाते हैं। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही से बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।


क्यों जरूरी है विटामिन 'ए'
विटामिन ए की कमी के कारण बच्चों में आंख व त्वचा संबंधी बीमारियों हो जाती हैं जिनसे बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बच्चों का समय-समय पर टीकाकरण के साथ विटामिन ए की दवाई भी पिलाई जाती है। यह दवा त्वचा व मसल के सैल को एक्टीवेट रखती है। इसके अलावा यह दवा अल्सर को बढऩे से रोकने और कैंसर को रोकने में भी मददगार होती है। विटामिन ए की कमी से आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है।


6 महीने में पिलाई जाती है दवा 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार बच्चे को 5 साल तक 6 महीने के अंतराल में दवाई पिलाई जाती है। शुरू में यह दवाई 9 महीने के अंतराल में पिलाई जाती है। 16वें महीने में दूसरी बार दवा पिलाने का समय है और इसके बाद 6 महीने के अंतराल में 5 साल तक यह दवाई पिलाई जाती है।