विक्रमादित्य ने गिरफ्तारी से बचने को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

Thursday, Sep 29, 2016 - 09:00 AM (IST)

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) को उनके पिता एवं अन्य के खिलाफ दर्ज धनशोधन मामले में पूछताछ के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिए जाने की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे। ई.डी. ने इस मामले में उन्हें पूछताछ के लिए 30 सितम्बर को हाजिर होने को कहा है। पहले वह पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। मुख्यमंत्री के बेटे के वकील दयान कृष्णन ने न्यायमूर्ति ए.के. पटनायक से कहा कि उन्हें आशंका है कि उनके मुवक्किल को पूछताछ के दौरान हिरासत में लिया जा सकता है, अत: उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाना चाहिए।


उन्होंने दलील दी कि विक्रमादित्य सिंह का नाम ई.डी. की प्राथमिकी में नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई इसी पीठ के सामने आज होगी, जो वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी की अर्जियों पर पहले से सुनवाई कर रही है। जांच एजैंसी ने पिछले महीने इस मामले में वीरभद्र सिंह का बयान दर्ज किया था। ई.डी. ने गिरफ्तार एल.आई.सी. एजैंट आनंद चौहान के खिलाफ यहां अदालत में इस मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया था। उसने इसी साल पहले 8 करोड़ की संपत्ति भी कुर्क की थी। वैसे वीरभद्र सिंह ने खुद और परिवार द्वारा कोई गड़बड़ी किए जाने से इंकार किया है।


ई.डी. वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 6.1 करोड़ रुपए की संपत्ति को लेकर जांच कर रही है। आरोप है कि यह संपत्ति 2009-2011 के दौरान उनकी आय के ज्ञात स्रोत से अधिक है। उस समय वीरभद्र सिंह इस्पात मंत्री थे। सी.बी.आई. की प्राथमिकी में वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी और आनंद चौहान तथा उनके भाई का नाम है, जिन पर भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप है।