1600 एसएमसी शिक्षकों की नौकरी खतरे में

Saturday, Feb 06, 2016 - 10:40 AM (IST)

शिमला: प्रदेश में एसएमसी के तहत सेवाएं दे रहे 1600 टीजीटी व सी एंड वी अध्यापकों की नौकरी खतरे में है। सरकार ने अभी तक एसएमसी शिक्षकों के अनुबंध अवधि को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। बीते 31 दिसम्बर से इन शिक्षकों की अनुबंध अवधि समाप्त हो गई थी जिसके बाद अभी तक सरकार ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं की है। सरकार के इस रवैये से शिक्षक भी परेशान हैं, ऐसे में उन्हें डर सता रहा है कि 3 साल की सेवाएं देने के बाद कहीं सरकार शिक्षकों को बाहर का रास्ता न दिखा दे। ये वे शिक्षक हैं जिन्हें सरकार ने वर्ष 2012 से 2015 तक स्कूलों में एसएमसी के तहत नियुक्ति दी थी। इसमें टीजीटी व सी एंड वी शिक्षक शामिल हैं।

 

मुख्यमंत्री दे चुके हैं 3 बार आश्वासन
मुख्यमंत्री शिक्षकों को इस मामले में 3 बार आश्वासन दे चुके हैं। बीते अक्तूबर माह में उन्होंने शिक्षक ों का अनुबंध कार्यकाल एक साल बढ़ाने पर हामी भरी थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग के शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों में कार्यरत इन शिक्षकों का कार्यकाल शैक्षिणक सत्र 2016-17 तक करने का आश्वासन दिया था लेकिन 3 माह बीतने के बाद भी सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी नहीं किए।

 

शनिवार को मुख्यमंत्री से मिलेगा संघ
पीरियड बेसिस एसएमसी टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल पितान व महासचिव मनोज रोंगटा ने बताया कि इस मामले को लेकर एक बार फिर शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिलेगा और उनसे शिक्षकों की अुनबंध अवधि बढ़ाने की मांग की जाएगी। इसके साथ ही क्लाज नम्बर-9 व 10 को निरस्त करने की मांग भी उनसे की जाएगी। इसके तहत एसएमसी पर कार्यरत अध्यापकों के स्थान पर नियमित तथा अनुबंध अध्यापकों को न भेजने की अधिसूचना जारी करने व हर साल अनुबंध देने की प्रक्रिया को भी समाप्त करने की मांग की जाएगी।

 

भविष्य में एसएमसी शिक्षकों की निुयक्तियों पर लगे रोक
एसोसिएशन के पदाधिकारी इस दौरान मुख्यमंत्री से भविष्य में एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियों पर रोक लगाने का आग्रह भी करेंगे। संघ का आरोप है कि सरकार नई भर्ती कर रही है जबकि कार्यरत शिक्षकों का अनुबंध नहीं बढ़ाया जा रहा है। एसोसिएशन ने शिक्षा विभाग में कार्यरत 2500 शिक्षकों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की है ताकि शिक्षक ों का भविष्य सुरक्षित हो सके।