कर्ज उतारने के लिए कर्ज ले रहा हिमाचल : जौहरी

Wednesday, Apr 13, 2016 - 12:09 AM (IST)

शिमला: प्रदेश की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। प्रदेश को कर्जे की अर्थव्यवस्था से निजात दिलाने के लिए प्रदेश के राजस्व में इजाफा करने की जरूरत है तभी प्रदेश की आर्थिक स्थिति पटरी पर आ सकती है। यदि प्रदेश की माली हालत में जल्द सुधार न किया गया तो वर्ष 2017 तक स्थिति प्रदेश सरकार के हाथ से बाहर चली जाएगी। मामला इतना गंभीर हो चुका है कि सरकार अपने पुराने कर्जों के भुगतान के लिए हर वर्ष नए ऋण ले रही है। ऋण राशि का 76 फीसदी पुराने कर्जों के भुगतान पर खर्च किया जा रहा है।

 

मंगलवार को प्रैस वार्ता में खुलासा करते हुए प्रदेश के प्रधान महालेखाकार आरएम जौहरी ने कहा कि यदि अभी भी प्रदेश इस स्थिति से न संभला तो आने वाले दिनों में प्रदेश की वित्तीय स्थिति भयानक रूप ले सकती है। उधार लेकर नवाब की तरह जीने वाली कहावत अब काफी पुरानी हो चली है लेकिन ऐसी ही स्थिति कुछ प्रदेश में भी चल रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश वर्तमान में करीब 40 हजार करोड़ कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। इन कर्जों के भुगतान के लिए सरकार नित नए कर्जे लेकर गाड़ी खींच रही है। यह गाड़ी ज्यादा देर चलने वाली नहीं है। अर्थव्यवस्था को कर्ज के मकडज़ाल से बाहर निकालने के लिए कुशल वित्तीय प्रबंधन कर राजस्व प्राप्तियों में बढ़ौतरी करना है, साथ ही राजकोषीय खर्चों में इजाफा करने की भी जरूरत है।

 

प्रदेश के प्रधान महालेखाकार आरएम जौहरी ने प्रदेश की आर्थिक सेहत, बढ़ता राजस्व घाटा, कर्ज का जाल, वित्त प्रबंधन व आर्थिक पहलुओं पर चिंता जताई कि यदि सरकार ने आर्थिक संसाधन नहीं बढ़ाए और लगातार कर्ज लेने की प्रवृत्ति पर जल्द ही ब्रेक न लगाई गई तो स्थिति काबू से बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राजस्व प्राप्तियों को बढ़ाए बगैर सरकार पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज ले रही है। वित्तीय प्रबंधन के लिहाज से यह कतई आदर्श स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कर्ज तो ले रही है लेकिन उसकी उगाई के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है।

 

राजस्व प्राप्तियों के साथ खर्च भी बढ़ा
आंकड़ों के अनुसार राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियां बढ़ी हैं लेकिन उसी अनुपात में राजस्व खर्च भी बढ़ा है। नतीजा राजस्व घाटे के तौर पर सामने आया है। यह राजस्व घाटा बढ़कर 1944 करोड़ रुपए हो गया है। वित्तीय वर्ष 2014-15 के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो राजस्व प्राप्तियां 17 हजार 843 करोड़ रुपए हैं। यह पिछले वित्तीय वर्ष से 2132 करोड़ से अधिक हैं। इनमें टैक्स रैवन्यू के रूप में 5940 करोड़ रुपए व सैंट्रल टैक्स शेयर के तौर पर 2644 करोड़ रुपए आए हैं।