अब बी.पी.एल. सूची में नामांकित परिवारों को देने होंगे शपथ पत्र
punjabkesari.in Saturday, Feb 13, 2016 - 04:45 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बी.पी.एल. सूची में धनाढ्य लोगों के नाम सामने आने के आरोपों को गंभीरता से लेते हुए इसकी वरिष्ठ अधिकारियों को जांच करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे परिवारों को नामांकित किया गया है तो इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने निकट भविष्य में बी.पी.एल. सूची तैयार करते समय नामांकित परिवारों से शपथ पत्र लेने को कहा है।
मुख्यमंत्री शुक्रवार यहां राज्य स्तरीय राजपूत कल्याण बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर राजपूत समुदाय के लोगों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग की समरूपता पर प्रदान करने की मांग उठी। बैठक में बोर्ड के प्रतिनिधियों ने आगामी बजट में राजपूत अथवा ब्राह्मण समुदाय के बी.पी.एल. परिवारों को कल्याणकारी एवं आवासीय योजनाओं के अंतर्गत लाने की मांग की। प्रतिनिधियों ने कहा कि राजपूत एवं ब्राह्मण परिवारों के लिए इस प्रकार की कोई योजनाएं नहीं हैं।
बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समुदाय द्वारा उठाए गए मुद्दे से सहमत हैं तथा इस संबंध में वह भारत सरकार को पत्र लिखेंगे और यदि, भारत सरकार से इस संबंध में कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो राज्य सरकार गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे राजपूत समुदाय के परिवारों के लिए कल्याणकारी एवं आवासीय योजनाओं को क्रियान्वित करेगी। उन्होंने राजपूत समुदाय के बी.पी.एल. परिवारों के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए कम ब्याज दरों पर ऋण सुविधा से जुड़े मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।
बैठक में शिक्षण संस्थानों तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं के लिए राजपूत और सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के मुकाबले शुल्क में अंतर से जुड़े मामले पर विचार करने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में राजपूत समुदाय को आर्थिक अथवा आय की स्थिति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्रदान करने की एकजुट मांग उठाई गई। इस दौरान अंतर्जातीय विवाह के लिए दिए जाने वाली प्रोत्साहन राशि को समाप्त करने की मांग गई, जिस पर मुख्यमंत्री ने मामले में जांच-पड़ताल का आश्वासन दिया।
बैठक में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग की तर्ज पर वंचित राजपूत समुदाय के कल्याण के लिए विशेष आयोग के गठन के मामले पर विचार करने का भी निर्णय लिया गया। समुदाय के प्रतिनिधियों ने वर्तमान अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन करने अथवा मामले को भारत सरकार के साथ उठाने की मांग की। उनका कहना था कि अधिनियम के दुरुपयोग के अनेक उदाहरण सामने आए हैं। मुख्यमंत्री ने मामले पर विचार करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भूमि काश्तकारी अधिनियम के अन्तर्गत जमीन ली है तथा इसे बाद में बेच दिया है और पुन: स्वयं अथवा उनके बच्चों ने भूमिहीन होने का बहाना कर भूमि के लिए आवेदन किया है, ऐसी भूमि की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सीमांत अथवा लघु किसान, जो अपनी भूमि पर कृषि करने की स्थिति में नहीं है, वे इस भूमि को बिना किसी भय के तथा मालिकाना टाइटल में परिवर्तन किए बगैर आगे काश्तकारी के लिए पट्टे पर दे सकते हैं।