धूमल ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना

Friday, Aug 28, 2015 - 09:28 PM (IST)

शिमला: नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर सत्तापक्ष की तरफ से सदन में नारे लगाए गए। नेता प्रतिपक्ष शुक्रवार को सदन में हुए हंगामे के बाद ऑपोजिशन लॉज में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जिनके पास शिक्षा और गृह विभाग भी हैं, का रवैया सदन में विपक्ष को लेकर पूरी तरह से अपमानजनक रहा है। उन्होंने कहा कि जो 6 बार सीएम रहा हो उसे अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए सदन में शालीनता के साथ पेश आना चाहिए।

प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि सदन में हंगामा होते मुख्यमंत्री की भूमिका रहती है कि वह उसे सुचारु रूप से चलाने का प्रयास करते जबकि वीरभद्र सिंह ने ऐसा नहीं किया। धूमल ने कहा कि विपक्ष संजौली कालेज में सामने आए मामले पर चर्चा चाहता था, इसके लिए विधायक गोविंद ठाकुर ने नियम-62 के तहत 3 दिन पहले चर्चा के लिए नोटिस दिया था लेकिन बार-बार आग्रह पर भी चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि यह मामला महिला के सम्मान से जुड़ा है, ऐसे में इस पर सदन में चर्चा के लिए समय न देना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने उक्त मामले में एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए तथा कहा कि लगातार चर्चा की मांग करने पर भी जब अनुमति नहीं दी गई तो नारे लगाए गए।

धूमल ने कहा कि इस दौरान सत्तापक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री के अलावा कोई भी नहीं उठा और फिर मुख्यमंत्री ने इशारे कर सदस्यों को उठाया और फिर सत्तापक्ष की तरफ से नारे लगने शुरू हो गए। इसके बाद विपक्ष के सदस्य वैल में नारे लगाने चले गए। उन्होंने कहा कि इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने सीपीएस नीरज भारती द्वारा सोशल मीडिया पर की जा रही अश्लील हरकतों को उजागर करने की सम्मानपूर्वक कोशिश की तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उन कागजों को फाड़ कर सत्ती पर फैंक दिया। उन्होंने कहा कि यह भाजपा अध्यक्ष का अपमान नहीं बल्कि पूरी पार्टी का अपमान है। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपमान नहीं सहेगा और इसका करारा जवाब देगा।

विधानसभा अध्यक्ष से भी गिला
प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि विपक्ष को विधानसभा अध्यक्ष से भी गिला है। उन्होंने कहा कि सदन को स्थगति करने के बजाय सुचारु रूप से चलाने के प्रयास किए जाने चाहिए थे। उन्होंने कहा कि जब कुछ समय के पश्चात सदन स्थगित किया गया तो संसदीय कार्य मंत्री और विपक्ष के मुख्य संचेतक को बुलाकर गतिरोध तोडऩे का प्रयास होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आज कई महत्वपूर्ण विषय लगे थे, उन पर चर्चा होनी चाहिए थी, उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष ने चर्चा से बचने के लिए सदन के माहौल को बिगाड़ा।