एक टांग पर धमाकेदार डांस करता है ये दिव्यांग, मिस्टर हिमालया का जीत चुका है खिताब

Wednesday, Feb 21, 2018 - 11:59 AM (IST)

मंडी (नीरज): हौसले बुलंद हों तो बिना पंखों के भी उड़ा जा सकता है, इसका जीता जागता उदाहरण है हिमाचल का सतीश कुमार। वह दिव्यांग होते हुए भी हिम्मत ना हारने वालों में से है। उसने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हैं।


मंडी जिले के सात मील गांव के रहने वाले सतीश (20) ने मात्र 2 साल की आयु में अपनी टांग सड़क हादसे में खो दी। एक तेज रफ्तार ट्रक ने इसको जिंदगी भर का गम दे दिया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। 


सतीश को रंज है कि इस बार उसे अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने का मौका नहीं दिया गया। आज सतीश भले ही गरीबी में अपनी जिंदगी जी रहा हो लेकिन हौसले बुलंद हैं और इन्हीं के दम पर वह आगे बढ़ रहा है। उसके पिता चाय की दुकान चलाते हैं जबकि माता मनरेगा में मजदूरी करती है। सतीश पहले एक्टिंग करता था फिर उसके मन में डांसिंग का शौक भी जागा। नकली टांग के सहारे सतीश ने अपने इस शौक को न सिर्फ पूरा किया बल्कि कई मुकाम भी छुए। वह पिछले साल शिमला में हुए मिस्टर हिमालया के खिताब को अपने नाम कर चुका है। वहीं दिव्यांगों की नेशनल एथलेटिक्स में भी भाग ले चुका है। बड़ी बात यह है कि सतीश ने किसी से कोई ट्रेनिंग नहीं ली, जो कुछ भी सीखा यू टयूब पर वीडियो देखकर ही सीखा।


इसकी इस कला की मंडी जिला प्रशासन कद्र नहीं कर पाया। उसको मलाल है कि आज उसे मंडी के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने का मौका नहीं मिला। सतीश ने 22 जनवरी को ही जिला प्रशासन को एप्लीकेशन दे दी थी और ऑडिशन का भी इंतजार कर रहा था। बाद में पता चला कि डांसर के लिए कोई ऑडिशन नहीं और ऐसे लोगों की सिलेक्शन उनकी प्रोफाइल के आधार पर होगी। शायद प्रशासन को इस हुनरबाज की प्रोफाइल रास नहीं आई और इसे अपनी प्रतिभा दिखाने का कोई मौका नहीं मिल सका। सतीश अभी वल्लभ कॉलेज मंडी से अपनी बीएससी की पढ़ाई पूरी कर रहा है। भविष्य में वह एक्टिंग और डांसिंग की दुनिया में नाम कमाना चाहता है, लेकिन इसके लिए उसे समाज के सहयोग की जरूरत रहेगी।