जर्मनी में फंसे आंचल के भाई को मिला ईरान का वीजा, Twitter पर कहा Thankyou

Tuesday, Jan 16, 2018 - 10:53 AM (IST)

मंडी (पुरुषोत्तम): स्कीइंग में देश को पहला अंतर्राष्ट्रीय पदक दिलाने वाली मनाली की आंचल ठाकुर के भाई हिमांशु ठाकुर को ईरान के लिए वीजा मिल गया है। रविवार रात करीब 2 बजे इस बात की पुष्टि हुई कि विदेश मंत्रालय ने हिमांशु ठाकुर को ईरान का वीजा मिल जाने बारे सूचित किया। पंजाब केसरी ने प्रमुखता से इस समाचार को प्रकाशित कर मामला भारत सरकार के ध्यान में लाया। वहीं आंचल ने अपने ट्वीटर अकांऊट से विदेश मंत्रालय का धन्यवाद भी किया है।  


बताया जाता है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद ठाकुर, सांसद अनुराग ठाकुर व सांसद रामस्वरूप शर्मा की ओर से यह मामला रविवार को पी.एम.ओ. में उठाया गया। वहां से विदेश मंत्रालय ने तत्काल संज्ञान लेते हुए ईरानी दूतावास में संपर्क कर जर्मनी में फंसे आंचल ठाकुर के सगे भाई हिमांशु ठाकुर को वीजा दिलाने की दिशा में कार्रवाई की। साहसिक खेल स्कीईंग के जुनून में शनिवार को सात समुद्र पार जर्मनी में देश के लिए हिमाचली खिलाड़ी हिमांशु उस समय बड़ी दुविधा में फंस गया था जब वहां से ईरान को उड़ान भरने से पहले उसे इसका वीजा नहीं दिया गया। 


इधर सोमवार को आंचल के भाई को ईरान पहुंचना था, जहां उनकी विंटर ओलंपिक के लिए क्वालीफाइंग की आखिरी रेस है लेकिन उन्होंने ऐन मौके पर हिमांशु को वीजा देने से इंकार कर दिया, जिससे वह जर्मनी से ईरान को अपनी उड़ान नहीं भर पा रहा था। शनिवार को हिमांशु ने अपने ट्वीटर अकांऊट से प्रधानमंत्री, सुषमा स्वराज और खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर से मामले में हस्ताक्षेप की गुहार लगाई। लेकिन रविवार को अवकाश के चलते उनके ट्वीट पर कोई प्रतिक्रिया न आने पर यह मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया गया। इसके बाद रात 2 बजे इस बात की पुष्टि हुई कि हिमांशु को वीजा दे दिया गया है। 


2 दिन से जर्मनी में आंचल के सगे भाई हिमांशु  ईरान जाने के लिए वीजा के इंतजार में बैठे थे। लेकिन कोई उसकी सुनवाई नहीं कर रहा था। हिमांशु और उसकी बहन आंचल ने सोशल मीडिया के माध्यम से भारत सरकार के ध्यान में यह बात लाई, जिससे तत्काल इसका हल निकल पाया। देश को विंटर ओलंपिक्स में मैडल दिलाने की हरसत लिए हिमांशु इन दिनों जर्मनी और ईरान दौरे पर है। क्योंकि 16 जनवरी को उनकी आखिरी क्वालीफाइंग रेस है, जिसके बाद वे विंटर ओलंपिक्स में भाग ले सकते हैं। वह आर्थिकी तंगी के बावजूद देश के लिए स्की जैसे साहसिक खेल में अपनी प्रतिभा के बूते विदेशों में जाकर विंटर ओलंपिक्स की तैयारी कर रहा है।