श्याम सरण नेगी का जज्बा : मेरी आंखों की रोशनी जा रही है, शरीर चलने से मना कर रहा

Tuesday, Oct 31, 2017 - 02:36 PM (IST)

शिमला : भारत के पहले मतदाता श्याम शरण नेगी का जन्म हिमाचल प्रदेश के कल्पा में हुआ। स्कूल से सेवानिवृत्त हुए भारत के प्रथम मतदाता को सबसे पहले वर्ष 1951 में वोट डालने का मौका मिला था। ब्रिटिश शासन के अंत के बाद वर्ष 1952 में चुनाव करवाए गए। हिमाचल के उपरी इलाकों में बर्फबारी के कारण पांच महीने पहले ही चुनाव करवाने पड़े। इसकी कारण हिमाचल के उपरी इलाकों में पहले चुनाव करवाए गए। नेगी ने वर्ष 1951 के आम चुनाव में मतदान किया, श्याम सरण नेगी ने एक हिंदी फिल्म सनम रे में भी भूमिका निभाई है। गौरतलब है कि सौ साल की उम्र होने पर भी नेगी में देश के लिए कुछ गजरने का जज्बा आज भी कायम है।

हालांकि उनके हौंसलों को उड़ान भरने से उनका शरीर रोक रहा है। उनके इस जज्बे को पंख लगाने के लिए सरकार ने उनके लिए विशेष प्रबंध किए हैं।  सरकार ने उनके वोट डालने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं आने जाने के लिए गाड़ी का व्यवस्था व उनकी सेहत का ख्याल रखने के लिए पोलिंग बूथ पर डाक्टर की व्यवस्था की है। जिस बूथ पर नेगी अपना वोट कास्ट करेंगे, वहां उनके स्वागत के लिए विशेष प्रावधान किया जाना है। हिमाचल प्रदेश की 14वीं विधानसभा के लिए श्याम सरण नेगी ने एक मैसेज दिया है। इस बारे में उनका कहना है कि कोई भी मतदाता वोट डालने से न रहे। हर मतदाता को अपने मत का प्रयोग करना चाहिए। प्रदेश का स्वच्छ और ईमानदार सरकार देने के लिए वोट डालना बहुत जरूरी है। नेगी उस समय सुर्खियां बने जब वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में गूगल ने उनके ऊपर वीडियो बनाया।

इसमें उन्होंने दास्तां ए मतदान का विस्तृत बखान किया। रायल सेब की मिठास से किन्नौर अपनी पहचान देश ही नहीं विदेशों में बना रहा है। नेगी के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटे और पांच बेटियां उनका हौसला बढ़ा रहे हैं। एक सरकारी शिक्षक के रूप में उन्होंने वर्ष 1975 में सेवानिवृत्ति ली। वर्ष 2014 में दस साल उनकी पत्नी हीरा मणि उनके साथ वोट डालने गई। उनके घर से मतदान केंद्र की दूरी लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। ईवीएम मशीन के बारे में नेगी ने कहा, मेरी आंखों की रोशनी जा रही है, शरीर चलने से मना कर रहा है। ईवीएम पर वोट डालना मुझे बखूबी आता है। मतदाता सूची पर मैं हस्ताक्षर भी खुद ही करता हूं। आज भारत के पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपना वोट देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को कास्ट किया था, लेकिन बाद में मैंने दूसरी पार्टी को दिया, नेता सदन में हंगामा करके लोगों का समय बर्बाद करते हैं। लोगों के मुद्दों पर चर्चा कम होती है।