क्या राम रहीम केस से हिमाचल लेगा सबक, सरकार का दुलारा है यह विवादित बाबा

Tuesday, Aug 29, 2017 - 03:13 PM (IST)

सोलन: हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के बाबा गुरमीत राम रहीम चर्चा में हैं। चुनाव से पहले डेरा सच्चा सौदा से समर्थन लेने वाली बीजेपी इस मामले में मजबूर नजर आ रही है। पंजाब और हरियाणा के कई बाबाओं की हरकतें नैशनल मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं। वहीं बाबा राम रहीम के मामले से हिमाचल को सबक लेने की जरूरत है। हिमाचल के एक विवादित बाबा को शायद राज्य के लोग भी न जानते हों। लेकिन इस बाबा के साथ हिमाचल के राजनेताओं का गठजोड़ चिंता पैदा करता है। हिमाचल के मीडिया ने इस बाबा के मामले को जोर-शोर से उठाया था, लेकिन सरकार के आगे किसकी चलती है? हम बात कर रहे हैं सोलन के रामलोक आश्रम के विवादित बाबा अमरदेव की, जिनके ऊपर जानवरों की खालों की तस्करी से लेकर तलवार से महिला को जख्मी करने जैसे मामले के आरोप चल रहे हैं। लेकिन इस बाबा की पहुंच ऐसी कि रातों-रात पूरा थाना ट्रांसफर हो जाता है। आइए आपको बताते हैं बाबा के अब तक के प्रमुख घटनाक्रम। 



22 अप्रैल, 2016 में खालें बरामद करने के आरोप में बाबा को किया था गिरफ्तार 
साधुपुल के समीप रामलोक मंदिर में रहने वाले हाई प्रोफाइल बाबा अमरदेव के पास तेंदुए की चार खालें मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था। इस मामले का खुलासा प्रदेश सीआईडी की टीम ने किया था। ‘अमरदेव की गिरफ्तारी से कई मंत्रियों और अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल, एसपी प्रदेश विजिलेंस रमेश छाजटा भी बाबा अमरदेव के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए अकसर आते रहते थे।’


25 जुलाई, 2016 को बाबा के अवैध कब्जे को नियमित करने की तैयारी
बाहरी राज्य के बाबा पर वीरभद्र सरकार भी मेहरबान दिख रही थी। अवैध रूप से बनकर तैयार श्री रामलोक मंदिर को नियमित करने पर कैबिनेट में सहमति बनती दिख रही थी। जिस भूमि को दबाकर मंदिर बनाया गया था, वह कभी पंचायत के सामुदायिक भवन के लिए सरकार ने पंचायती राज विभाग को दी थी। इस पर कब्जे के बाद विवाद बढ़ा तो डीसी सोलन को कब्जा छुड़ाने की प्रक्रिया चलानी पड़ी।


26 अप्रैल, 2017 में तलवार के वार से महिला हुई जख्मी 
बाबा अमरदेव पर एक महिला पर तेजधार हथियारों से हमला करने का आरोप लगा था। बाबा के हमला करने पर महिला के पेट पर गहरा ज़ख्म आया था, जिससे महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया था। बाबा की इस हरकत से गुस्साए लोगों ने उसकी धुनाई कर दी थी। 


7 मई, 2017 में आईजीएमसी जाकर बाबा से मिले वीरभद्र
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शिमला के आईजीएजी में भर्ती बाबा को जाकर मिले। 


9 मई, 2017 को पूरा कंडाघाट थाना किया ट्रांसफर
मुख्यमंत्री से मुलाकात के 48 घंटों के अंदर ही कंडाघाट थाने में तैनात 18 पुलिसकर्मियों को ट्रांसफर कर दिया गया था। पूरे इलाके में लोग पुलिसकर्मियों के इस तबादले को बाबा अमरदेव के हिमाचल सरकार के एक मंत्री से रिश्ते और मुख्यमंत्री से मुलाकात के साथ जोड़ रहे थे।  


14 मई, 2017 को कंडाघाट के 35 गांवों की हुई महापंचायत
35 गांवों की महापंचायत ने फैसला किया कि बाबा को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। इस बीच सोलन के उपायुक्त राकेश कंवर ने रामलोक मंदिर का जायजा लिया। उपायुक्त ने विश्वास दिलाया कि मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से हल निकाला जाएगा।  


17 मई, 2017 को बाबा की गाड़ी में मिला वायरलेस सेट
बाबा अमरदेव की लग्जरी गाड़ी में वायरलेस सेट पाया गया था। इस प्रकार का वायरलेस सेट केवल सरकारी वीआईपी गाड़ियों में ही होता है। बाबा की गाड़ी में इस सेट के मिलने से जांच एजेंसियां भी हैरान रह गई थी। 


25 मई, 2017 को पुलिस की मौजूदगी में बाबा की गाड़ियां हुई थी रवाना
बाबा की महंगी गाड़ियां उनके ही समर्थक ले गए थे। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह गाड़ियां कहां ले जाई गई थी। बताया जाता है कि गाड़ियां पुलिस की मौजूदगी में ले जाई गईं थी। 


3 जून, 2017 को पुलिस ने बाबा को किया गिरफ्तार
जमानत रद्द होने से पहले ही बाबा के वकील ने जमानत की अर्जी वापस ले ली। इस वजह से बाबा को पुलिस के सामने सरेंडर करना पड़ा। 


6 जून, 2017 को बाबा को भेजा न्यायिक हिरासत
अदालत में सीआईडी ने कहा था कि बाबा अपना असली नाम तथा पता नहीं बता रहा है। इसकी गहनता से जांच हो सके इसलिए सीआईडी ने अदालत से बाबा के रिमांड की मांग की थी। सीआईडी की मांग पर अदालत ने बाबा को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। मगर फिर अदालत ने उनको 14 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। 24 जून तक बाबा की न्यायिक हिरासत बढ़ाई गई थी। 


17 जून, 2017 को दी थी वीआईपी ट्रीटमेंट
24 जून तक न्यायिक हिरासत में चल रहे बाबा को 8 जून को क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में जोड़ों में दर्द, उल्टियां आने की शिकायत के चलते बाबा को भर्ती करवाया गया था। 


वैसे इस आश्रम में 25 करोड़ कीमत की मूर्तियां बताई जाती हैं। बाबा के पास महंगी गाड़ियां कहां से आईं और फिर कौन ले गया। सरकार से क्यों इतनी पहुंच है कि मुख्यमंत्री खुद हाल पूछने आईजीएमसी जाते हैं, जबकि स्थानीय लोगों में गुस्सा है। तमाम प्रश्नों के जवाब अनसुलझे हैं।