मौत के 30 साल बाद भी भटकती है वो रूह, यात्रियों से मांगती है मिनरल वॉटर और सिगरेट

Tuesday, Jul 16, 2019 - 03:14 PM (IST)

मनाली: देवों की धरती के साथ पहाड़ियों की गोद में बसा हिमाचल भूतों-प्रेतों के रहस्यों का भी स्वामी है। यहां भूतिया दुनिया से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो एक तो इंसान के लिए रहस्य बन गई हैं, तो दूसरा ये रहस्य शाम को बच्चों को सुलाने के लिए दादी मां की कहानियां बन जाते हैं। ये कहानी भी ऐसी है जो करीब 30 साल पहले की बताई जाती है। कहा जाता है कि आज भी उस जगह पर एक युवक की रूह भटक रही है और यहां से गुजरने वाले हर यात्री से वो मिनरल वॉटर और सिगरेट की मांग करती है। कहा ये भी जाता है कि अगर कोई उस युवक की भटकती आत्मा की इच्छा पूरी नहीं करता तो उसे खुद भी हादसे का शिकार भी होना पड़ता है।



किस्सा जुड़ा है मनाली-लेह मार्ग से, रोड साइड में बना है भूत का मंदिर
ये किस्सा जुड़ा है मनाली-लेह मार्ग से। इस सड़क पर भूत का एक छोटा सा मंदिर भी बनाया गया है। जो 17 हजार फीट की उंचाई पर गाटा लूप्स में स्थित है। बताया जाता है कि इस रूट पर भूत की भटकती रूह यहां से गुजरने वाले हर यात्री से पानी और सिगरेट की मांग कर परेशान करती थी जिससे आए दिन यहां हादसे होते थे। लेकिन बाद में भूत के मंदिर का निर्माण कराया गया तो काफी हद तक हादसों में कमी दर्ज की गई।



भूत की मांग पूरी नहीं की तो होता है हादसा!
तीन दशक पहले घटी वो दर्दनाक घटना आज भी उस दर्द का अहसास दिलाती है। जब वो भटकती रूह मदद और पानी के लिए चिल्लाती सुनाई देती थी। बताया जाता है कि आज भी इस रास्ते से गुजरने वाले यात्रियों से उस युवक की रुह पानी और सिगरेट की मांग करती है और हर किसी को ये मांग पूरी भी करनी पड़ती है। लिहाजा भूत की मांग पर लोग यहां मिनरल वॉटर और सिगरेट चढ़ाते हैं। कहा ये भी जाता है कि अगर भूत की मांग पूरी नहीं की जाए तो उन यात्रियों को हादसे का सामना करना पड़ता है।



कब, कैसे और कहां से आया भूत ?
भूत के बारे में इतना सब जानने के बाद अब ज़हन में सवाल ये उठता है कि आखिर वो भटकती रूह आई कहां से ? और आई तो आई लेकिन वो यहीं क्यों रहती हैं ? और लोगों ने इसका मंदिर क्यों बनवाया?
घटना करीब 30 साल पहले एक हादसे से जुड़ी हुई बताई जाती है। स्‍थानीय लोग बताते हैं कि तब यहां से गुजर रहा एक ट्रक खराब हो गया था। इसके बाद बर्फबारी हुई और ट्रक ड्राइवर और कंडक्टर को किसी की मदद नही मिल पाई। लिहाजा कुछ देर इंतजार करने के बाद ड्राइवर अपने साथी को ट्रक में ही छोड़कर गांव में मदद के लिए चला गया। गांव इस जगह से करीब 40 किलोमीटर दूर था और ड्राइवर को वहां पहुंचने में घंटों लग गए। बर्फबारी के कारण रास्ता भी खराब हो गया था। चालक ने वापस आने की कोशिश की लेकिन बर्फीले तूफान ने रास्ता रोक लिया। करीब एक हफ्ते के बाद जब चालक अपने ट्रक के पास मदद लेकर पहुंचा तो तब तक कंडक्टर की भूख-प्यास और मौसम की वजह से मौत हो गई थी और उसकी लाश ट्रक के अंदर पड़ी थी। बताया जाता है कि चालक ने कंडक्टर की लाश को यहीं पर दफना दिया था और तब से यहां रात को डरावनी घटनाएं घटने लगीं। युवक की भटकती आत्मा आते-जाते चालकों को डराने लगी।



सबसे खतरनाक रास्ता
मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर खतरनाक 21 घुमावदार चक्करों वाले हेयर पिन बेंड को गेटा लूप्स कहा जाता है। इसे विश्व का सबसे खतरनाक रास्ता भी माना जाता है। सर्दियों में तो यह रास्ता भारी बर्फबारी के कारण बंद ही रहता है।



नोट- आपको यह जानकारी मान्यताओं और बुजुर्गों के कहे अनुसार उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिए किसी को भी भ्रमित करना या अंधविश्वास फैलाना हमारा मकसद नहीं है।

Prashar