VIDEO: नाम है बेताल गुफा, दीवारों से टपकता था घी, मिलते थे बर्तन, यहां है देवताओं का वास!

Saturday, Nov 23, 2019 - 11:03 AM (IST)

मंडी: पहाड़ों की गोद में बसा हिमाचल देवों की धरती के साथ भूतों-प्रेतों के रहस्यों का भी स्वामी है। भूतिया दुनिया से जुड़ी यहां कई ऐसी कहानियां हैं जो एक तो इंसान के लिए सबसे बड़ा रहस्य हैं, तो दूसरा यही रहस्य शाम को बच्चों को सुलाने के लिए दादी मां की कहानियां बन जाता है। ये कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जो जुड़ी है एक गुप्त गुफा से, जिसे लोग बेताल गुफा कहते हैं। जिसकी तिलस्मी दीवारों से टपकता देसी घी (तथाकथित) और अंदर मौजूद अरबों-खरबों का बेशकीमती खजाना बना हुआ है सबसे बड़ा रहस्य।

‘बेताल गुफा बेहद रहस्यमयी है, ये सबकी मनोकामनाएं पूरी करती थी’
पुराने वक्त में गुफाएं या तो राजाओं-महाराजाओं के आने-जाने का गुप्त रास्ता हुआ करतीं थी या फिर साधू-संतों, ऋषियों की तपस्या का एकांत स्थल। लेकिन यकीन मानिए ये गुफा बेहद रहस्यमयी है। जिस रहस्य से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठा पाया। कहा जाता है कि बेताल गुफा चमत्कारी शक्तियों से भरी है। जहां कभी हर इंसान की हर मनोकामनाएं पूरी हुआ करती थीं। लेकिन फिर एक दिन किसी ने कुछ ऐसा कर दिया कि गुफा अपवित्र हो गई और अन्य गुफाओं की तरह यह गुफा भी आम गुफा बन गई।



दीवारों से टपकता था घी!
कहा जाता है कि बरसों पहले बेताल गुफा की दीवारों से घी टपकता था। घी का ये रिसाव 24 घंटे और साल के 365 दिन एक जैसा रहता था। गुफा से मांग कर लोग डिब्बों के डिब्बे भरकर घी लाते थे। लेकिन फिर एक दिन एक गलती के चलते इन दिवारों से अचानक घी टपकना बंद हो गया। कहा जाता है कि गुफा की दीवारों पर आज भी घी के प्रमाण देखे जा सकते हैं।

गुफा से मांगने पर बर्तन भी मिलते थे!
बात सिर्फ घी तक ही नहीं रुकती है। दावा तो ये भी किया जाता है कि इस गुफा से लोगों को बर्तन भी मिलते थे... अगर किसी के घर में शादी या कोई दूसरा कार्यक्रम है और उसे बर्तनों की जरूरत है... तो वो पूजा की थाली सजाकर गुफा के बाहर सिंदूर से निमंत्रण लिख कर आता था। जिसके बाद मांग के अनुसार गुफा याचक को बर्तन दे देती थी। जरूरत पूरी हो जाने के बाद वो बर्तन गुफा के बाहर रख दिए जाते थे, जो अपने आप अदृश्य हो जाते थे।

क्लिक कर देखें VIDEO...



गुफा में देवी-देवता होने का दावा
चमत्कारी बेताल गुफा की लंबाई 40 से 50 मीटर और चौड़ाई 15 फीट बताई जाती है। गुफा में हिन्दू धर्म से जुड़ी कई प्रतिमाएं हैं, जिनकी पूजा यहां के स्थानीय लोग करते हैं। इस गुफा के अंदर एक जल स्रोत होने का भी दावा किया जाता है, जिसके बहते पानी की आवाज किसी संगीत की तरह सुनाई देती है।



आखिर कैसे बंद हो गए गुफा के सभी चमत्कार?
माना जाता है कि एक बार किसी के घर में शादी थी और घर के मुखिया के मांगने पर गुफा ने उसे काफी मात्रा में बर्तन दिए, लेकिन मुखिया के मन में लालच आ गया और उसने ये बर्तन वापस ही नहीं किए और इसके बाद गुफा से बर्तन मिलना हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए।

घी का टपकना ऐसे हुआ था बंद!
गुफा से घी टपकता था जो बाद में बंद हो गया। यहां इसके बारे में भी एक किवदंति हैं। कहा जाता है कि एक बार एक चरवाहा अपने पशुओं को चरा रहा था। पशुओं को चराते-चराते उसे रात हो गई और गुफा को सुरक्षित स्थान मानकर उसने यहां रात बीताने की योजना बनाई। चरवाहा दिन में अपने साथ रोटी ले आया था और रात को सोने से पहले वो रोटी खाने लगा। कहा जाता है कि वो चरवाहा गुफा की दीवारों से टपकते घी के साथ रोटी लगाकर खा रहा था, जिससे यह घी जूठा और अपवित्र हो गया। और तब से इन दीवारों से घी टपकना बंद हो गया।



पहाड़ के ऊपर देवी मां का मंदिर और तल में गुफा, आज भी बरकरार है लोगों की आस्था
ये बेताल गुफा पहाड़ी के तल में हैं और उस पहाड़ी पर माता शीतला का मंदिर है। गुफा के बारे में मान्यता है कि गुफा के प्रधान बेताल, माता शीतला के गण हैं, जिसके चलते यह लोगों की आस्था का स्थल है। यह गुफा लोगों की मन्नतों को पूरी करती है, जब किसी का पशु बीमार हो जाता है या दूधारु पशु दूध देना बंद कर दे या फिर किसी पशु में बांझपन की समस्या हो तो बेताल गुफा में पूजा-पाठ करने से पशु स्वस्थ, दुधारु और प्रजनन योग्य हो जाता है।



कहां है गुफा, यहां कैसे पहुंच सकते हैं ?
ये किस्सा जुड़ा है छोटी काशी कहे जाने वाले मंडी जिला के सुंदरनगर से। इस गुफा के दर्शनों के लिए आपको सबसे पहले मंडी आना होगा और फिर मंडी से सुंदरनगर। सुंदरनगर से ये गुफा 2 किलोमीटर दूर है। इसके बाद मैरामसीत सड़क से करीब 50 फुट की दूरी पर बेताल गुफा स्थित है। जो रिहायशी इलाका है।  यहां पर किसी भी वाहन के जरिये आसानी से पहुंचा जा सकता है।

क्लिक कर देखें VIDEO...

नोट- आपको यह जानकारी मान्यताओं और बुजुर्गों के कहे अनुसार उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिए किसी को भी भ्रमित करना या अंधविश्वास फैलाना हमारा मकसद नहीं है।

Prashar