Watch Pics: देवभूमि में सेब के 100 साल, पढ़ें पूरी कहानी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2016 - 05:11 PM (IST)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती के 100 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रदेश के कई जगहों पर उत्सव का आयोजन किया गया। ‘सेब की खेती के जनक’ सत्यानंद स्टोक्स को राज्य में सेब की खेती के 100 साल पूरे होने के मौके पर कोटगढ और कुमारसेन के बागवानों ने याद किया। इस मौके पर राज्य की बागवानी मंत्री और सत्यानंद स्टोक्स की बहू विद्या स्टोक्स ने कहा कि क्षेत्र में 100 साल पहले सादगी से यह शुरूआत हुई थी। उन्होंने कहा कि आज सेब एक लाख 10 हजार 679 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उगाए जा रहेे हैं और औसत वार्षिक उत्पादन 7.77 मीट्रिक टन है।


सेब के जन्मदाता सत्यानंद स्टोक्स की कुछ खास बातें
‘भारत और भारतीयों के प्रति स्नेह उनके हितो की रक्षा और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष ही मेरे जीवन का मूल उद्देश्य है, जिसके लिए मैं मरते दम तक प्रयत्नशील रहूंगा। ये शब्द 5 जून, 1919 को सत्यानंद स्टोक्स द्वारा अपने माता को लिखे पत्र में कहे थे।’ सेब के जन्मदाता सत्यानंद स्टोक्स का जन्म 16 अगस्त 1882 फिलाडेलिफया (अमरीका) के धनी परिवार में हुआ था। सेब उत्पादन को एक नई दिशा तब मिली जब सत्यानंद स्टोक्स जो कि एक अमरीकी धर्मदूत थे, ने अमरीका से 1918 में रेड डिलीशियस प्रजाति के पौधे मंगवाए और उन्हें कुमारसैन तहसील के कोटगढ़ क्षेत्र के थानाधार में लगाए और उसका प्रचार किया। सेब के जन्म सत्यानंद स्टोक्स ने गोल्डन डिलीसियस भी अमरीका से आयात किए। आज हिमाचल प्रदेश सेब राज्य से जाना जाता है। 


6 नवंबर 1916 में लगा सेब का पहला बगीचा
प्रदेश में सेब के पौधे 1792 में लगाए गए थे जो खट्टे-मीठे थे। इसके बाद 1905 में कैप्टन ली ने कुल्लू में सेब का पौध लगाया। इन पौधों के लगने से भी सेब की व्यावसायिक खेती शुरू नहीं हुई। अमेरिका से सेब का पौधा लेकर सत्यानंद स्टोक्स ने वैज्ञानिक तरीके से कोटगढ़ के बारूबाग मे सेब का पहला बगीचा 6 नवंबर 1916 में लगाया था। उन्होंने यहां के लोगों को अपनी जमीन में भी सेब लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। करीब 111 साल पहले 1905 में एक अमरीकी शख्स हिमाचल आया। बताया जा रहा है कि जब सैम्युल इवांस स्टोक्स ने शिमला के लोगों को बीमारी और रोजी-रोटी से जूझते देखा तो उसने यहीं रह कर उनकी सेवा करने का फैसला लिया। वे स्थानीय युवती से शादी कर आर्य समाजी बन गए। इतना ही नहीं उन्होंने अपना नाम बदलकर सत्यानंद स्टोक्स रख लिया।


इस क्षेत्र में नकदी फसलें नहीं होने से लोग काफी गरीब थे। इस शख्स ने साल 1916 में अमरीका से पौध लाकर कोटगढ़ की थानाधार पंचायत के बारूबाग में सेब का पहला बगीचा तैयार किया। लोगों को सेब उगाकर दिखाया और उन्हें भी प्रेरित किया। सौ साल बाद आज हिमाचल एप्पल स्टेट बन चुका है। यहां के बागवान करोड़पति बन चुके हैं। प्रदेश के लाखों परिवार दूसरा काम धंधा छोड़कर सेब बागवानी से मोटी कमाई कर रहे हैं। आज उनकी लगाई रॉयल वैरायटी का सेब विदेशी किस्मों को भी मात दे रहा है। मौजूदा समय में हिमाचल में सेब का सालाना 3 हजार करोड़ रुपए का कारोबार होता है। गौरतलब है कि सत्यानंद स्टोक्स ने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ भी रहे। वे खादी पहनते थे। उनकी बहू विद्या स्टोक्स मौजूदा समय में हिमाचल सरकार में बागवानी मंत्री हैं।  


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