'बर्फ के घर' में रहने का सपना हुआ सच, देश में बना पहला Igloo

Wednesday, Feb 08, 2017 - 03:44 PM (IST)

सेथन (कुल्लू): बर्फ का नाम सुनते ही जहन में जो तस्वीर बनती है वो हैं सफेद पहाड़, स्कीइंग, ठंड और इग्लू। साधारण तौर पर लोग इग्लू को सिर्फ टी.वी. पर देखते आए हैं। इग्लू में रहने का प्रचलन कुछेक बाहरी देशों में है और फिनलैंड, आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और कनाडा जैसे देशों में तो इग्लू को पर्यटन के रूप में भी विकसित किया गया है। इन देशों में पर्यटक इग्लू में रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सपना पूरा करने के लिए आपको विदेश जाने की कोई जरूरत नहीं है। भारत में रहते हुए भी आप इस सपने को पूरा कर सकते हैं। भारत में पहली बार इस प्रकार का कॉन्सैप्ट इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ युवाओं ने शीतकालीन पर्यटन व ईको फ्रैंडली एक्टीविटी को बढ़ावा देने के मकसद से कुछ इग्लू का निर्माण किया है जो मनाली में चर्चा का विषय बने हुए हैं।


ताशी और विकास ने आजमाया कॉन्सैप्ट
लगभग 9000 फुट की ऊंचाई पर स्थित मनाली से लगभग 15 किलोमीटर दूर सेथन गांव के 2 युवा ताशी दोरजी और विकास कुमार बाहरी देशों से प्रभावित होकर इग्लू के कॉन्सैप्ट को अपने देश में भी आजमाना चाहते थे। इन दोनों को ही किले बनाने का शौक था और इनके इसी शौक से एक नया बिज़नेस चल निकला। चूंकि इस वर्ष जमकर बर्फबारी हुई और तापमान भी काफी कम रहा है तो यही सही मौका था अपने विचारों को हकीकत में तबदील करने का। दोनों युवाओं की उनके दोस्तों ने भी काफी मदद की और कई दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद 2 इग्लू बनकर तैयार हो गए। जैसे ही इनके दोस्तों ने इग्लू की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं तो हर कोई इग्लू देखने सेथन गांव की ओर चल पड़ा।  


पर्यावरण के अनुकूल हैं इग्लू
ताशी बताते हैं कि इस तरह के उपयोग शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी जुटा सकते हैं। उनके अनुसार इग्लू पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल हैं और विकसित देशों में इस तरह का पर्यटन खूब फलफूल रहा है। वे भी पर्यटन विभाग की मदद से इग्लू के कॉन्सैप्ट को इलाके में बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि इग्लू में बिस्तर, टेबल और आम जरूरत की सभी चीजें मौजूद हैं और सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है। अगले वर्ष से ये इग्लू में रहने के रोमांच को पूरी तरह से पर्यटन से जोड़कर अधिक से अधिक संख्या में पर्यटकों को सेथन गांव तक लाने की कोशिश करेंगे।


पर्यटक खुद भी बनाएंगे इग्लू
बता दें कि सेथन गांव हामटा पास के ठीक नीचे है जोकि 2 वर्ष पूर्व ही पर्यटकों के लिए खुला है। ताशी और विकास मानते हैं कि अधिक से अधिक युवाओं को इस तरह के नए उपयोग करके शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए और स्वरोजगार जुटाना चाहिए। इग्लू में रहने के साथ-साथ ये युवा पर्यटकों को खुद भी इग्लू बनाने का मौका प्रदान करेंगे। इसके साथ ही स्कीइंग व स्नो बोर्डिंग जैसी खेलों को भी जोड़ रहे हैं।


बर्फ से बने घर को कहते हैं इग्लू
इग्लू बर्फ से बना एक प्रकार का छोटा घर या आश्रय स्थल होता है, जहां लोग ठंड से बचने केे लिए रहते हैं। खास बात यह है कि इसमे सिवाय बर्फ के कोई सामग्री प्रयोग में नहीं लाई जाती है। यह घर रहने वाले को बाहर के मौसम व ठंड से राहत देता है। कनाडा के मध्य आर्कटिक और ग्रीनलैंंड के क्षेत्रों के लोग इसका इस्तेमाल करते थे। धीरे- धीरे पूरे विश्व के ठंडे स्थलों में इसका प्रचार हुआ। इग्लू के बाहर भले ही तापमान जमा देने वाला हो लेकिन इसके भीतर तापमान सामान्य रहता है। रहने वालों को विशेष प्रकार के गर्म कपड़े भी उपलब्ध करवाए जाते हैं।