हिमाचल में प्रतिवर्ष हो रहे 3000 हादसे, 1100 से अधिक लोगों की हुई मौतें

Thursday, Apr 20, 2017 - 02:17 PM (IST)

शिमला : भले ही सड़क विस्तार में हिमाचल को देश का सरताज बना दिया हो, लेकिन पहाड़ी प्रदेश की सर्पीली सड़कें मानवीय खून से रंग रही हैं। राज्य की खस्ताहाल तंग सड़कों पर कदम-कदम पर मौत का पहरा लगा हुआ है। औसतन प्रतिवर्ष सड़कों पर 3000 सड़क हादसों में 1100 के करीब बेगुनाहों की जानें जा रही हैं। या यूं कहें कि औसतन हर माह 200 के करीब सड़क हादसों में 100 मौतें और 300 से ऊपर लोग अपंगता का दंश झेलने को मजबूर हो रहे हैं। विभाग के सिस्टम व यमदूत द्वारा सड़कों पर लगाया गया नाका कदम-कदम पर वाहन चालकों व लोगों के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है।

प्रतिवर्ष 1100 से अधिक लोगों की हुई मौतें
यही वजह है कि सड़कों पर बैठे यमदूत औसतन हर दिन 3 जिंदगियों के प्राण हर रहे हैं। मानवीय खून से रंग रही सड़कों पर बिखरे दुर्घटनाओं के सबूत चाहे चालक व परिचालक की लापरवाही की गवाही देते हों, लेकिन यातायात का पाठ पढ़ाने वाले भी कत्र्तव्यों को पूरा करने में कोताही बरत रहे हैं। समय रहते अगर लोक निर्माण विभाग व परिवहन विभाग ने ट्रैफिक विंग द्वारा किए गए सड़क सर्वे से सबक लिया होता तो आज फिर रोनाहट बस हादसा पेश न आता। विभाग की इस लापरवाही से शांत प्रदेश में प्रतिवर्ष हो रहे सड़क हादसों से हाहाकार मचता रहता है। प्रदेश पुलिस के रेलवे ट्रैफि कविंग के रिकार्ड को खंगाला जाए तो अभी भी प्रदेश की सर्पीली सड़कों पर सरपट मौत दौड़ रही है। प्रदेश में प्रतिवर्ष 1100 के करीब लोग सड़क हादसों में जान गंवा रहे हैं।