तांत्रिक शक्तियों वाला इकलौता सिद्ध गणेश मंदिर, 21 दिन में पूरी होती हैं इच्छाएं
punjabkesari.in Sunday, Sep 11, 2016 - 03:20 PM (IST)

मंडी (नीरज शर्मा): इन दिनों देश भर में गणेश उत्सव की धूम देखने को मिल रही है। जगह-जगह भगवान गणेश की महिमाओं का गुणगान हो रहा है। तो चलिए हम आज आपको एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताते हैं जो तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण हैं। बताया जा रहा है कि छोटी काशी के नाम से विख्यात हिमाचल के मंडी जिले के एक कोने पर स्थित है। उत्तरी भारत का ये इकलौता सिद्ध मंदिर है। पहले आपको बताते हैं कि इसे उत्तरी भारत का इकलौता सिद्ध गणपति मंदिर क्यों कहते हैं।
इस मंदिर में जो भगवान गणेश की मूर्ति है उसे 1686 ई में मंडी रियासत के तत्कालीन राजा सिद्ध सेन ने स्थापित करवाया था। राजा तंत्र विद्या में काफी रूचि रखते थे इसलिए उन्होंने इस मूर्ति की सिद्धि करवाई और इसे और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण किया। बताया जाता है कि पश्चिम बंगाल की तरफ भगवान गणेश के ऐसे अनेकों मंदिर विराजमान हैं लेकिन उत्तरी भारत में यह इकलौता है। इस मंदिर में भगवान गणेश की जो मूर्ति है उस पर सिंधूर से लेप किया जाता है और मूर्ति के गले में हर वक्त नाग देवता भी विराजमान रहते हैं।
मंदिर के इतिहास पर किताब लिख चुके पूर्व विधायक दीनानाथ शास्त्री बताते हैं कि सांप का तंत्र विद्या में पर्याप्त महत्व है और इसी के चलते जब राजा ने इस मूर्ति का निर्माण करवाया तो इसमें नाग देवता की छवि को भी उभारा गया, जिसके बाद इसकी सिद्धि करके इसे सिद्ध गणपति का नाम दिया गया। जानकारी के मुताबिक मंडी में सेन वंशज पश्चिम बंगाल से आए थे और इसी वंशज के राजा सिद्धसेन ने एक अन्य राज्य पर जीत का परचम लहराने की मनोकामना मांगी थी।
जब उनकी मनोकामना पूरी हुई तो उसके बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। तांत्रिक प्रभाव वाले इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर लगातार 21 बुधवार आकर पूजा अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। मंडी जिला के लोगों की इस मंदिर के प्रति अटूट आस्था है और यहां पर वर्षों से गणेश उत्सव को हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा रही है। गणेश उत्सव के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मंत्री तक इस मंदिर में आना नहीं भूलते।