आज से एक महीने के लिए बंद होंगे मंदिरों के कपाट, जानिए क्यों?

Saturday, Aug 20, 2016 - 02:54 PM (IST)

गोहर: हिमाचल की पृष्ठ भूमि में अलग-अलग देवी देवताओं का इतिहास रहा है। ये देवी-देवता प्रदेश की इस पवित्र भूमि पर साल भर अपना पहरा देते रहते हैं, लेकिन साल में एक महीना ऐसा भी आता है जब इन देवी-देवताओं का इस धरती पर कोई प्रभाव नहीं रहता। जी हां, यह महीना होता है भादों मास का। इसमें पृथ्वी के समस्त देवतागण पृथ्वी की परिक्रमा को छोड़ असूरों के साथ युद्ध करके अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करने अज्ञात प्रवास पर चले जाते हैं।


बता दें कि इस प्रवास पर लगभग एक महीना लग जाता है। अगर देवी-देवता असूरी ताकत से हार जाते हैं तो उस साल भयंकर अकाल व तबाही ही तबाही का मंजर पृथ्वी वासियों को सहना पड़ता है। ऐसा माना गया है कि इस महीने के राखी के त्योहार के दिन देवता लोग स्वर्ग लोक में अज्ञातवास में जाने से पृथ्वी पर गुगा महाराज को भक्तों की रक्षा एवं समृद्धि का जिम्मा सौंपा जाता है। जो कि एक महीने तक बना रहता है। 


अंधेरे महीने में राखी के दिन से श्री कृष्ण जन्माष्टमी तक चलता है गुगा त्योहार रक्षा बंधन से ठीक एक मास बाद जब देवता असूरी ताकतों से युद्ध कर पृथ्वी पर लौटते हैं तो गुगा जी महाराज को पृथ्वी की जिम्मेंदारी से भारमुक्त कर पुन: देवता लोग सुख समृद्धि एवं रक्षा की जिम्मेंवारी अपने सिर पर ले लेते हैं। गौरतलब है कि रक्षाबंधन के त्योहार से गुगा महाराज अपने भक्तों के साथ पीतल, तांबा तथा भोजपत्रों का छतर बनाकर घर-घर में बड़ी ही श्रद्धा-भाव से आदर सम्मान करके गुगा को दक्षिणा भेंट चढ़ाते हैं। स दौरान विभिन्न गुगा समूह के लोगों को सम्मानित करके विशेष प्रकार की पूजा यानि रछ्या का भी आयोजन करवाया जाता है।