आज निकलेगी अंतिम जलेब, उमड़ा जनसैलाब

Monday, Mar 14, 2016 - 12:18 PM (IST)

मंडी: शिवरात्रि महोत्सव के छठे दिन छोटी काशी में भारी जनसैलाब उमड़ा। रविवार होने के चलते दिनभर मेला परिसर में अपार जनसमूह खरीदारी के लिए उमड़ा। इस दौरान सुबह 9 से शाम 4 बजे तक कॉलेज मैदान में बैठे देवी-देवताओं के पास दर्शनों के लिए बारिश के बावजूद हजारों लोग पहुंचे। इस दौरान खासकर महिलाओं ने घाटी के विभिन्न क्षेत्रों से आए देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। कॉलेज मंच के पास दिनभर देवलू नाटी प्रतियोगिता का भी बारिश के बीच दौर चलता रहा, जहां परंपरागत वाद्ययंत्रों की मधुर स्वर लहरियों से वातावरण गूंज रहा था।

आज लौट जाएंगे देवी-देवता 
सोमवार को 7 दिवसीय मंडी शिवरात्रि महोत्सव का अंतिम दिन है। 7 दिनों तक छोटी काशी में डेरा जमाए 200 के आसपास देवी-देवता आज अपने-अपने देवालयों की ओर लौट जाएंगे।

अंतिम जलेब में भाग लेंगे राज्यपाल
महोत्सव के समापन अवसर पर सोमवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत बतौर मुख्यातिथि उत्सव में शिरकत करेंगे। इस दौरान राज्यपाल दोपहर बाद निकलने वाली राजमाधव राय की अंतिम जलेब में भी भाग लेंगे। सोमवार को शहर में विक्टोरिया पुल से वाहनों की आवाजाही जलेब की समाप्ति तक प्रतिबंधित रहेगी।  डी.सी. संदीप कदम ने बताया कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत सोमवार को गांधी भवन मंडी में सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद बल्ह क्षेत्र की बैहना पंचायत में स्वच्छता अभियान तथा मेरी लाडली अभियान की जानकारी लेंगे।  

आज पहाड़ी से उतरेंगे बड़ा देव कमरूनाग
पूरे उत्सव में शहर की पहाड़ी पर विराजने वाले वर्षा के देवता कमरूनाग आज अंतिम चौहाटा की जातर में भाग लेने नीचे उतरेंगे और मेला खत्म होने पर वापस अपने गांव लौट जाएंगे। बता दें कि देवता कमरूनाग पूरे उत्सव में वर्षा रोकने के लिए टारना स्थित पहाड़ी पर विराजते हैं और केवल शिवरात्रि की शुभारंभ वाली पूर्व संध्या पर और अंतिम दिन शहर में प्रवेश करते हैं।

देव मिलन व नाटी बनी आकर्षण
शिवरात्रि के छठे दिन जिला के 3 उपमंडलों से आए देवताओं ने दिनभर पड्डल मेला मैदान में डेरा जमाया। इस दौरान देवी-देवताओं के देवलुओं ने अपने-अपने देवरथों के पास दिनभर देवलू नाटी डालकर महोत्सव की शोभा बढ़ाई। पड्डल स्थित कालेज कलामंच के समीप देवता एक कतार में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं वहीं देवी-देवताओं के आपसी मिलन के भी यहां हजारों लोग गवाह बने। देवी-देवताओं ने एक-दूसरे के गले मिलकर अपने दुख-दर्द सांझा किए। इस अवसर को बाहरी पर्यटकों ने भी अपने कैमरों में कैद किया।

देवताओं की संस्कृति पर हो रहा शोध
महोत्सव में भाग लेने आए देवी-देवता शोधार्थियों के विस्तृत अध्ययन का केंद्र बन गए हैं। देश के विभिन्न राज्यों से रिसर्च स्कॉलरों ने छोटी काशी में पधारे देवी-देवताओं के अस्थायी शिविरों में डेरा जमा लिया है। कोई देवी-देवताओं के देवरथों की शैली से प्रभावित होकर आंकड़े जुटा रहा है तो कोई देवताओं के साथ चलने वाले ढोल-नगाड़ों व पारंपरिक वाद्ययंत्रों की डॉक्यूमेंट्री बनाने में मशगूल है।