चंबा विकास में कभी करता था इंगलैंड को फॉलो, अब पिछड़ा जिला घोषित

Monday, Jan 22, 2018 - 09:49 AM (IST)

चंबा (विनोद): आजादी के बाद देश ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ तो वहीं इससे पहले जो जिला विकास के मामले में इंगलैंड को फॉलो करता था आज वह पिछड़े जिला की बैसाखियों पर आ खड़ा हुआ है। आजादी के 71 साल बीतने के बाद आज जिला चंबा की यह हालत हो गई है कि उसे अब विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए नीति आयोग को इसे पिछड़ा की सूची में शामिल करना पड़ा। यानी यहां विकास के मामले में प्रदेश के अन्य 11 जिलों में इस कद्र अनदेखी का शिकार हुआ है कि अब वह नीति आयोग की बैसाखियों के सहारे आगे नहीं बढ़ सकता है। 


चंबा के रियासती काल पर नजर दौड़ाई जाए तो देश में कोलकाता के बाद बिजली की सुविधा यहां ही उपलब्ध थी। चिकित्सा के मामले में तो चंबा रियासत ने न सिर्फ पूरे देश को बल्कि एशिया में कुष्ठ रोग चिकित्सा सुविधा के क्षेत्र में पहला स्थान प्राप्त किया हुआ था। एशिया का पहला चिकित्सालय जिला चंबा में था। पुलों का निर्माण इंगलैंड की तकनीक के आधार पर किया गया जिसके चलते रावी नदी पर शीतला पुल बना जिसके अवशेष आज भी मौजूद है। ऐतिहासिक वस्तुओं को संजोकर भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने के लिए भूरी सिंह संग्रहालय उस दौरान बनाया गया जब देश में चंद ही संग्रहालय मौजूद थे। नगर में सड़कों की व्यवस्था बेहतर थी तो साथ ही नगर का विकास योजनाबृद्ध ढंग से हुआ। 


आजादी के बाद विकास को लगी नजर
देश के आजाद होने के बाद जहां हर तरफ विकास की गंगा बहने लगी तो जिला चंबा में यह स्थिति विपरीत बनी। धीरे-धीरे यह जिला इस कदर विकास में पिछड़ता चला गया कि आजादी के 71 वर्ष बाद केंद्र सरकार को यह जिला पिछड़ा घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 


प्रदेश को दिए सबसे अधिक आई.ए.एस. अधिकारी
चंबा प्रदेश को सबसे अधिक आई.ए.एस. अधिकारी देने का गौरव हासिल कर चुका है। एक समय ऐसी स्थिति थी कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में जिला का आई.ए.एस. अधिकारी तैनात होता था। अब स्थिति यह हो चुकी है कि महिला शिक्षा क्षेत्र में जिला चंबा का चुराह सबसे पिछड़ा हुआ जाना जाता है। मैरिट लिस्ट में बड़ी मुश्किल से यहां के छात्रों के नाम देखने को मिलते हैं। यानी मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ जिला चंबा शिक्षा के क्षेत्र में भी दिन व दिन पिछड़ता जा रहा है।  


सरकारी आंकड़े खोल रहे जिला के विकास की पोल
नीति आयोग ने देश के 707 ऐसे जिलों को चिन्हित किया है जो कि विकास के मामले में पिछड़े हैं। इस सूची में जिला चम्बा 115वां स्थान हासिल किए हुए है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले जिले की इस स्थिति का आभास खुद व खुद हो जाता है। गरीबी की दृष्टि से यह जिला देश के 114वें जिला में स्थान हासिल किए हुए है। स्वास्थ्य सुविधाओं की सूची में यह जिला फिसड्डी जिलों की सूची में 95वें स्थान पर है तो शिक्षा के क्षेत्र में भले प्रदेश ने केरल के बाद देश का दूसरा शिक्षित राज्य होने का गौरव हासिल किया है लेकिन जिला चंबा शिक्षा के मामले में 113वें स्थान पर है। बुनियादी ढांचा की दृष्टि से जिला चम्बा देश भर में 90 वें पायदान पर खड़ा है। उपरोक्त यह सभी आंकड़ों इस बात का आभास करवाते है कि भले जिला चम्बा आजादी से पूर्व या यह कहे कि रियासती काल में देश के स्मार्ट सिटी में शामिल था तो अब यह पिछड़ा क्षेत्र में जगह पाए हुए हैं। 


जिला की कोई सड़क यात्रा के लिए सुरक्षित नहीं
जिला चम्बा में आजादी के बाद सड़कों का निर्माण इस तरह से हुआ है कि वर्तमान में जिला चम्बा के 7 उपमंडलों को जिला मुख्यालय के साथ जोडऩे वाली ऐसी कोई सड़क नहीं है जो कि सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील न हो। जिला की सड़कों पर हर वर्ष कई ऐसे दर्दनाक हादसे होते हैं जिनमें कई लोगों की जाने एक साथ चली जाती हैं। विकास के नाम पर शिक्षा की व्यवस्था ऐसी की शिक्षा के संस्थानों की बाढ़ तो है लेकिन शिक्षा का स्तर गिरा है। अभी तक जिला चम्बा की सैकड़ों किलोमीटर सड़क क्रैश बैरियर तक को तरस रही हैं। जिला मुख्यालय में ही प्रवेश करने वाले सभी मार्गों पर मौत मुंह उठाए खड़ी है। इसमें पैदल रास्ता भी शामिल है।


जिला की कमजोर राजनीति मुख्य कारण
चम्बा ने प्रदेश की राजनीति को कई नामी-गिरामी नेता दिए लेकिन अफसोस की बात यह रही कि यह नेता खुद को क्षेत्रवाद के दायरे से बाहर नहीं निकाल सके। प्रदेश को सबसे अधिक विधानसभा अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री देने वाला यह जिला आज केंद्र की मदद पर पूरी तरह से आश्रित होकर रह गया है। राजनैतिक दृष्टि से चम्बा जिला के दम पर सदैव जिला कांगड़ा को वजन मिला है। समय के साथ जिला चम्बा की जनसंख्या तो बढ़ी लेकिन आज भी यहां सिर्फ पांच ही विधानसभा क्षेत्र है। लोकसभा व राज्य सभा सीट के लिए सभी राजनैतिक दलों ने जिला चम्बा को नजरअंदाज किया तो वहीं कांगड़ा को अधिमान मिला।