सड़कों पर उतर सकते हैं रघुनाथ के सेवक

Wednesday, Jul 27, 2016 - 01:08 AM (IST)

कुल्लू: प्रदेश सरकार द्वारा रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण को लेकर लिए गए फैसले को लेकर कुल्लू की जनता में खासा रोष है। सरकार के इस फैसले के बाद जहां हजारों लोग सड़कों पर उतर सकते हैं, वहीं घाटी की जनता इस फैसले को राजनीति से प्रेरित मान रही है। इस फैसले को रद्द करने के लिए सनातन धर्म सभा के प्रधान कमल किशोर की अध्यक्षता में रघुनाथ सेवकों द्वारा डीसी कुल्लू के माध्यम से मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार द्वारा रघुनाथ मंदिर का अधिग्रहण करने की जो प्रक्रिया शुरू की जा रही है वह देव परम्परा के विरुद्ध है।

 

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रघुनाथ मंदिर कुल्लू व्यक्तिगत मंदिर है तथा वर्ष 1960 से रघुनाथ को अधिष्ठाता देवता के रूप में मानते हैं। मंदिर श्री रघुनाथ का प्रबंधन व पूजा पद्धति निर्धारित पारंपरिक रूप से कालांतर से की जा रही है, जिसमें सभी नागरिकों का सहयोग रहता है। इस मंदिर में 46 उत्सव जोकि अयोध्या में मनाए जाते हैं, उसी रीति से यहां भी मनाए जा रहे हैं। मुख्य उत्सव दशहरे के अवसर पर कुल्लू के अठारह करडू देवी-देवता भाग लेते हैं और कुल्लू के दशहरे को अंतर्राष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दिया गया है। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन व सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कुल्लू की जनता व देवताओं की धार्मिक आस्था के केंद्र में उनका हस्तक्षेप सहन नहीं किया जाएगा वर्ना इसके परिणाम गंभीर होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन व सरकार की होगी।

 

फैसले के विरोध में बैठक
घाटी के आराध्य देव भगवान रघुनाथ के मंदिर के अधिग्रहण के फैसले का समाचार कुल्लू में आग की तरह फैल गया। सनातन धर्म सभा में इसी मुद्दे को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 100 लोगों ने भाग लिया। बैठक में सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की गई, साथ ही सरकार के इस फरमान के विरुद्ध सड़कों पर उतरने की योजना भी तैयार की गई।