जिला परिषद में राजपूत और ब्राह्मण समुदाय को एक बार भी नहीं मिला अध्यक्ष पद

punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 10:33 AM (IST)

धर्मशाला (सौरभ): जिला परिषद कांगड़ा में अध्यक्ष पद पर बीते ढाई दशक से राजपूत और ब्राह्मण समुदायों को किसी भी राजनीतिक दल ने एक बार भी अध्यक्ष पद के लिए तरजीह नहीं दी है। पंचायती राज के इस उच्च सदन में दोनों समुदाय एक तरह से सियासी अंधेरे में धकेल दिए गए। वर्ष 1996 से लेकर अब तक जिला परिषद कांगड़ा के अध्यक्ष पद पर 5 नेता विराजमान रहे हैं। इनमें 3 अध्यक्ष ओ.बी.सी. समुदाय से बने। एक अध्यक्ष अनुसूचित जाति समुदाय और एक अध्यक्ष सामान्य वर्ग से रहे।  ब्राह्मण और राजपूत दोनों समुदायों को एक बार भी जिला परिषद की सरदारी का मौका नहीं मिला। वहीं, क्षेत्रीय समीकरण पर नज़र दौड़ाएं तो अध्यक्ष पद की हॉट सीट के लिए नूरपुर जोन की हर बार अनदेखी की जाती रही है। बीते 25 वर्षों में पालमपुर, कांगड़ा और देहरा जोन को जिला परिषद का ताज मिला है, लेकिन नूरपुर जोन से एक बार भी अध्यक्ष नहीं बना है। जिला परिषद के वर्ष 2001-2006 के कार्यकाल में कांगड़ा जोन से भाजपा के आर.एल. जगदंबा अध्यक्ष रह चुके हैं।  साल 2006 से 2011 तक भाजपा के देसराज बागी कांगड़ा जोन से अध्यक्ष रह चुके हैं। पालमपुर जोन से 1996 से 2001 तक कांग्रेस की मनभरी देवी ने अध्यक्ष पद संभाला है। पालमपुर जोन से ही 2016 से 2021 तक भाजपा की मधु गुप्ता अध्यक्ष रह चुकी हैं। देहरा जोन से वर्ष 2011-2016 तक भाजपा की श्रेष्ठा कौंडल अध्यक्ष पद पर आसीन रह चुकी हैं।
 

अध्यक्ष पद के लिए जबरदस्त लॉबिंग 

जिला परिषद कांगड़ा के अध्यक्ष- उपाध्यक्ष पदों का चुनाव इस बार हाई प्रोफाइल हो गया है। अध्यक्ष पद के लिए सत्ताधारी दल में जबरदस्त लॉबिंग चल रही है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो जिला के मंत्री चाह रहे हैं कि उनके इलाके से कोई भी अध्यक्ष न बने, जो बाद में उनकी राह का सियासी कांटा बन सकता है। सूत्रों की मानें तो एक मंत्री ने जिला परिषद में अपने इलाके से जीते एक युवा नेता को सार्वजनिक रूप से पुचकार लिया लेकिन अंदरखाते उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष उसकी दावेदारी का जोरदार विरोध कर दिया है। ऐसे में शुक्रवार को मुख्यमंत्री का धर्मशाला दौरा काफी अहम है, जिस दौरान पूरी स्थिति साफ होगी।

अभी यह हैं समीकरण

जिला परिषद कांगड़ा की कुल 54 सीटों में से भाजपा समर्थित 26, कांग्रेस के 19 और 9 निर्दलीय सदस्य हैं। ऐसे में दोनों पदों पर भाजपा का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है। दोनों दल अधिक से अधिक निर्दलीयों के समर्थन का दावा कर रहे हैं, लेकिन साथ ही साथ दोनों दलों को क्रॉस वोटिंग का भय भी सता रहा है।  


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News Editor

Sourabh

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