अच्छे कार्यों की प्रेरणा मेरे अंदर का लेखक : शांता

Monday, Sep 12, 2016 - 12:44 AM (IST)

पालमपुर: जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर शांता कुमार ने अपनी साहित्यिक यात्रा पर खुलकर मन की बात की। राजनीतिक परिदृश्य से हटकर शांता कुमार ने कहा कि यदि वे मात्र राजनीतिज्ञ होते तो वे वह न होते जो वह आज हैं। उन्होंने कहा कि अब तक के राजनीतिक व सामाजिक जीवन में हुए अच्छे कार्यों की मूल प्रेरणा मेरे अंदर का लेखक रही है। उन्होंने कहा कि लेखक लिखता नहीं, अपितु उसके अंदर की भावनाएं व अनुभूति लिखाती है।

 

स्वलिखित कविता की पंक्तियां प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि ‘ऊंची और ऊंची और सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठने वाले सभी अच्छे नहीं होते। नीचे और नीचे तथा सबसे नीचे की कुर्सी पर बैठने वाले सभी नीचे नहीं होते। यह ऊंची ऊंचाई और नीचे की निचाई कभी न नापी जा सकी है और न नाप पाओगे मनुष्य के अंतर मन की गहराई।’ अपने साहित्यिक पर शांता कुमार ने कहा कि वर्ष 1964 में विवाह के बाद संतोष शैलजा के साथ मिलकर साहित्यिक यात्रा को नई गति मिली।

 

शांता ने कहा कि नाहन जेल में रहते हुए एक माह में उन्होंने लाजो उपन्यास लिखा जबकि 2 अन्य उपन्यास भी नाहन जेल में लिखे। शांता कुमार ने बताया कि उनका लेखक हृदय व तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का कवि हृदय अंत्योदय अन्न योजना के रूप में प्रस्फुटित हुआ, जिसका लाभ अनेक लोगों को मिला है। समारोह में संतोष शैलजा ने भी अपनी साहित्यक यात्रा के रोचक बिंदुओं को सामने रखते हुए बताया कि उन्होंने पहली कविता ‘तू प्रवासी नीत मेरे’ अंतर्देशीय पत्र पर उस समय लिखी, जब शांता कुमार जेल में थे।