नई जिम्मेदारी का बोझ न उठा पाने पर 70% शादीशुदा करते हैं यह काम

Wednesday, Oct 26, 2016 - 12:33 PM (IST)

धर्मशाला (विपिन): हिमाचल के जिला कांगड़ा, चम्बा व ऊना जिलों के 70 प्रतिशत शादीशुदा लोग नई जिम्मेदारियों को उठाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। इन जिम्मेदारियों को उठाने में नाकामयाबी मिलने के बाद वे इनसे छुटकारा पाने के लिए मौत को गले लगा रहे हैं। यह खुलासा हिमाचल प्रदेश फोरैंसिक लैब विशेषज्ञों द्वारा नॉर्थ जोन कांगड़ा-चम्बा-ऊना जिलों में वर्ष 2009 से लेकर 2014 के दौरान आत्महत्या के मामलों पर रिसर्च के दौरान हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो इस रिसर्च में फोरैंसिक लैब के पास 122 आत्महत्या के मामले सामने आए थे।


हिमाचल प्रदेश फोरैंसिक लैब के विशेषज्ञों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार हिमाचल के नॉर्थ जोन में कुल मामलों में सर्वाधिक मामले पुरुषों के हैं। रिसर्च के तहत 69 प्रतिशत पुरुष तथा 31 प्रतिशत महिलाओं ने फंदा लगाकर आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले मामलों में 21 से 40 वर्ष की आयु वाले लोगों का आंकड़ा 67 प्रतिशत है। वहीं अपनी जिंदगी समाप्त करने वाले इन मामलों में शादीशुदा का आंकड़ा 70.49 प्रतिशत है। यह रिसर्च हिमाचल प्रदेश फोरैंसिक लैब जुंगा के निदेशक डा. अरुण शर्मा, फोरैंसिक लैब नॉर्थ जोन के सहायक निदेशक डा. एस.के. पाल, वैज्ञानिक अधिकारी डा. अजय राणा तथा डा. अजय सहगल द्वारा की गई है। उनकी रिसर्च में सामने आया है कि इस अवधि के दौरान फोरैंसिक लैब के पास 122 आत्महत्या के मामले सामने आए थे। 


33 प्रतिशत गृहिणियों ने कलेश के चलते गले लगाई मौत
हिमाचल प्रदेश फोरैंसिक लैब के विशेषज्ञों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार 33 प्रतिशत गृहिणियों ने मनमुटावों के चलते मौत को गले लगाया है। विशेषज्ञों द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार आत्महत्या करने के लिए 75 प्रतिशत लोगों ने घरों जैसी जगह को चुना है। 


काऊंसलिंग से कम हो सकती हैं परेशानियां
राजेंद्र प्रसाद मैडीकल कालेज टांडा में मनोवैज्ञानिक विभाग में तैनात हैड ऑफ डिपार्टमैंट डा. मेजर सुखजीत सिंह की मानें तो ऐसे लोगों को काऊंसलिंग के जरिए सुधारा जा सकता है। डा. सुखजीत के अनुसार आजकल की व्यस्त जिंदगी में लोग अपने आप को बड़ी मुश्किल से एडजस्ट कर पा रहे हैं, जिसके चलते वे इससे छुटकारा पाने के लिए मौत को गले लगाना ही एकमात्र तरीका समझते हैं जबकि आपस में बैठकर या काऊंसलिंग के जरिए भी आत्महत्या की इन घटनाओं को रोका जा सकता है। 


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