हमसफर का छूटा साथ पर नहीं छोड़ा हौसला, महिलाओं के लिए मिसाल बनी कल्पना गुरुंग

Sunday, Oct 23, 2016 - 11:13 AM (IST)

धर्मशाला: लोगों को खाना खिला मन ही मन संतुष्ट होती है और अपनी आर्थिकी भी सुदृढ़ कर रही है। बात पैसा कमाने की ही नहीं बल्कि अपने मन की इच्छा पूरी करने की भी है। यही कारण है कि वर्ष 2005 से जिला मुख्यालय में सरकारी कामों के लिए आने वाले लोगों को अपनी दुकान में खाना बनाकर खिलाती है। हालांकि पिछले ही वर्ष इनका हमसफर भी साथ छोड़ गया है। बावजूद इसके अपनी इच्छा और मजबूत हौसले को कम नहीं होने दिया और दुकान का संचालन जारी रखा। जी हां बात हो रही है दाड़ी की रहने वाली कल्पना गुरुंग की जोकि 12 वर्षों से कम पैसों से अपनी दुकान में लोगों को भर पेट खाना खिलाकर अपना घर चला रही है।


कल्पना की 3 बेटियां हैं जिनकी कुछ साल पहले शादी हो चुकी है। कल्पना अपनी 3 बेटियों के साथ अपना गुजर बसर कर रही है। नारी शक्ति को नई राह दिखाने वाली कल्पना कहती है कि कौन कहता है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर उनके कंधे से कंधे मिलाकर घर-परिवार नहीं चला सकतीं। 2005 से अपने इस कारोबार से जहां कल्पना ने अपने परिवार को सशक्त किया है तो दूसरी ओर किसी भी परिस्थिति में कमजोर न पडऩे पर मिसाल पेश की है। दाड़ी की रहने वाली कल्पना उन महिलाओं के लिए जीती जागती मिसाल है जो अपने आप को असहाय समझती हैं। 


कार्यालयों में चाय देने का कार्य भी करती है कल्पना 
कल्पना खाना खिलाने के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों में रोजाना चाय देने का कार्य भी करती है। सुबह से शाम तक कार्य करने वाली कल्पना दिन में लगभग 2 हजार के करीब पैसे कमा लेती है। खाना खिलाने और सरकारी कार्यालयों में चाय देने के इस काम से होने वाली कमाई से घर का खर्च निकालना आसान हो जाता है। कल्पना का कहना है कि हर महिला को दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि स्वयं कार्य करते रहना चाहिए।