PICS: यहां देवी-देवताओं की आज्ञा से ही होता है हर काम

Monday, Jun 27, 2016 - 05:13 PM (IST)

पालमपुर: कांगड़ा के अति दुर्गम क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर छोटा भंगाल घाटी में भी अब आधुनिकता की झलक दिखाई देने लगी है।


कभी इस घाटी की 7 पंचायतों स्वाड़, पोलिंग, मुल्थान, बडग्रां, लुआई, कोठी कोहड़ व धरमान के बाशिंदे अब पहले की तरह घाटी की दुनिया तक ही सीमित नहीं रहे हैं। इस दुर्गम क्षेत्र के गांव स्वाड़ में हर घर के बाहर डिश एंटीना, सोलर लाइटें, पक्की नालियां, घरों में शौचालय, नल, एल.ई.डी. व अन्य जरूरी सुविधाओं की झलक दिखी। आधुनिकता की दस्तक के बावजूद यहां लोगों ने अपनी सामाजिक व धार्मिक परंपराओं को अभी भी संजोए रखा है। किसी की मौत व जन्म पर आज भी लोग एक विशेष समयावधि तक खेतों में न तो काम करते हैं और न ही खेतों में पैदा हुई किसी चीज को तोड़ते हैं।


आज भी देवी-देवताओं की इस समाज में बहुत मान्यताएं हैं। हर महत्वपूर्ण कार्य यहां तक कि बिजाई भी देवताओं की अनुमति के बगैर नहीं होती है। वन्य जीव अभ्यारण्य (सैंक्चुरी) एरिया की सीमा घाटी की आबादी से दूर चले जाने से लोगों में खुशी है। सैंक्चुरी एरिया होने की वजह से सड़कों आदि का विकास असंभव था। पिछले कई वर्षों से आलू, राजमाह व अन्य नकदी फसलों से उनकी आय में 4 गुना वृद्धि हुई है। इसी गांव के उपप्रधान चमन लाल ने बताया कि आज भी 95 प्रतिशत किसान गोबर की खाद का ही उपयोग करते हैं। यही कारण है कि यहां की जैविक खेती द्वारा पैदा होने वाले गेहूं को बाहर के लोग मुंह मांगे दाम पर खरीद कर ले जाते हैं। इसके अलावा गांव में संगठित परिवार होने की वजह से इनकी सामाजिक व्यवस्था वर्षों से एकजुट है।