अभी तक बसाव की राह ताक रहे भाखड़ा विस्थापित
Wednesday, Apr 10, 2019 - 01:04 PM (IST)
बिलासपुर (बंशीधर): पड़ोसी राज्यों को रोशन करने वाले भाखड़ा विस्थापित आज भी अपने बसाव की राह ताक रहे हैं। 60 के दशक में भाखड़ा बांध के कारण बेघर हुए विस्थापितों का आज तक भी पूरी तरह बसाव नहीं हो पाया है। भाखड़ा विस्थापित आज भी अपने बसाव के लिए संघर्षरत हैं। मौजूदा लोकसभा चुनावों में विस्थापित इस मामले को लेकर दोनों दलों के नेताओं से जवाबतलबी करेंगे। तत्कालीन बिलासपुर के 256, ऊना के 110 व मंडी के 5 गांव इससे प्रभावित हुए थे तथा पुराना बिलासपुर शहर भी जलमग्न हो गया था। तत्कालीन बिलासपुर जिला से करीब 7,206 परिवार इससे प्रभावित हुए थे। करीब 60 वर्ष बाद भी भाखड़ा विस्थापित विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हैं। आलम यह है कि जहां बिलासपुर शहर के लोगों को प्लॉट नहीं मिल पाए हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के विस्थापितों को उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल पाया है।
999 वर्ष की लीज पर दिए हैं प्लॉट
बिलासपुर शहर में लोगों को यह प्लॉट 999 वर्ष की लीज पर दिए गए हैं। इसी प्रकार ग्रामीण भाखड़ा विस्थापितों को सिरसा, फतेहाबाद व हिसार आदि में जमीनें दी गईं। कुछ लोग तो वहां चले गए जबकि कुछ लोगों को उस समय यह कहा गया कि अमुक स्थान पर मकान बना लो। लोगों में उस समय ज्यादा जागरूकता नहीं थी तथा न ही लोग ज्यादा पढ़े-लिखे थे। लोगों ने जहां जगह मिली, वहीं पर मकान बना लिए।
अभी तक नहीं मिल पाए प्लॉट
जानकारी के अनुसार तत्कालीन बिलासपुर शहर के लोगों की 4 श्रेणियां बनाई गई थीं। इनमें जिन लोगों के घर जलमग्न हुए उन्हें मकान के प्लाट के बदले 1,800 स्क्वेयर फुट का प्लाट नए शहर में दिया गया जबकि दुकान के बदले 450 फुट और मकान कम दुकान के प्लाट के बदले 9,00 स्क्वेयर फुट का प्लॉट मिला। हालांकि तत्कालीन समय विस्थापितों को यह आश्वासन दिया गया था कि जमीन के बदले शहर से बाहर 4 गुना जमीन दी जाएगी लेकिन बिलासपुर शहर में तत्कालीन समय विस्थापित हुए 1,200 परिवारों में से केवल 2 को ही यह जमीन मिल पाई जबकि पुराने शहर के किराएदारों को आज तक प्लाट नहीं मिले हैं जबकि तत्कालीन समय उन्हें भी प्लॉट दिए जाने का वायदा किया गया था।