मरने के बाद हिमाचल जाती है ‘आत्मा’,  यमराज यहीं करते हैं पाप-पुण्य का लेखा-जोखा!

punjabkesari.in Monday, Oct 14, 2019 - 02:34 PM (IST)

भरमौर: यम‘राज’... नाम तो सुना ही होगा, आखिर मरकर जाना तो वहीं है। कहानी की शुरूआत भी ‘यमराज’ से ही होती है, जिनका नाम सुनकर सबसे पहले ज़हन में ख्याल मौत का आता है और आए भी क्यों ना... बात पाप-पुण्य के हिसाब से सजा देने वाले देवता की जो हो रही है। सब जानते हैं कि मौत अटल सत्य है और सब ये भी जानते हैं कि मरकर यमराज के पास जाना ही है। लेकिन वो सब ये नहीं जानते कि मरने के बाद सभी को हिमाचल जाना पड़ता है (ऐसा कहा जाता है), और यहीं से किए गए कर्मो, पाप और पुण्य का हिसाब होता है।

मरने के बाद इस मंदिर में आना पड़ता है!
अक्सर आपने सुना होगा कि भूत-पिशाचों को मंदिरों में जाने से डर लगता है, लेकिन यहां बात इसके बिल्कुल उलट है। इस मंदिर में इंसान तो कोई ही जाता है बाकि भूत ही हाजिरी लगाते हैं और ना भी लगाना चाहे तो भी लगानी पड़ती है। दरअसल बात देवभूमि हिमाचल के जिला चंबा के भरमौर की हो रही है। यहां स्थित 84 मंदिरों में एक यमराज का भी मंदिर है। वैसे तो सब इस मंदिर में आ सकते हैं, लेकिन कुछ लोग यमराज के डर से इस मंदिर में जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते। कहा जाता है कोई इंसान हो, कोई भी जीव हो या जानवर हो मरने के बाद उसे इस मंदिर में जाना ही पड़ता है

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मंदिर में विराजमान है यमराज और उनके मुंशी चित्रगुप्त!
ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में यमराज अपने मुंशी चित्रगुप्त के साथ विराजमान हैं और मरने के बाद यमदूत सबसे पहले उस जीव आत्मा को पकड़कर इसी मंदिर में लाते हैं। इसके बाद यमराज कचहरी लगती है और फिर मुंशी और यमराज दोनों की जोड़ी उन आत्माओं को कर्मों के हिसाब से फल देते हैं तब जाकर स्वर्ग या नर्क में जगह मिलती है।

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मंदिर में हैं चार दरवाजे, यहीं से मिलता है स्वर्ग-नर्क!
वो कहते हैं ना कि भले ही अदालतों में सच को झूठ की तरह पेश कर उसे झूठ बना दिया जाता है, लेकिन साहब यहां ऐसा नहीं होता। यहां जो होता है बराबर होता है क्योंकि यमराज का तराजू बराबर तोलता है। माना जाता है कि यमराज के इस मंदिर में चार दिशाओं में चार अदृश्य द्वार हैं। मतलब ऐसे दरवाजे हैं, जो हैं... लेकिन आत्माओं के सिवा दिखते किसी को नहीं है। यानि इन्हें देखने के लिए मरना पड़ता है। इन चार दरवाजों में सोना, चांदी, तांबा और लोहे के दरवाजे शामिल है। दरवाजों के बारे में मान्यता है कि यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत उस आत्मा को फल के हिसाब से इन्हीं दरवाजों में धकेल देते हैं। अगर कोई पवित्र आत्मा है उसे सोने का दरवाजा मिल जाता है और अगर कोई दुरात्मा है तो नसीब में लोहे का ही दरवाजा होता है।

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गरूड़ पुराण में है दरवाजों का जिक्र
वैसे आपके जहन में ये बात तो आई होगी कि ऐसा अभी तक तो सुना नहीं है, लेकिन साहब ऐसा ही है। अगर आप पढ़े लिखे हैं और जानने की इच्छा रखते हैं तो गरुड़ पुराण से जानकारी ले सकते हैं क्योंकि वहां इन दरवाजों का उल्लेख किया गया है। लेकिन ध्यान ये भी रखें कि ये हम नहीं कह रहे, आपको जानकार बनाने के लिए ये इंटरनेट से निकाली गई जानकारी बता रही है। हम तो बस ज्ञान बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

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मंदिर के रहस्य से हर कोई है अंजान
दुनिया जानती है कि हिमाचल रहस्यों का मालिक है। इतनी तो आपने बातें भी नहीं सुनी होंगी, जितने यहां रहस्य भरे पड़े हैं। खैर मुद्दे पर आते हैं और मुद्दा ये है कि ये मंदिर भी रहस्यों से भरा है। इसे कब और किसने बनाया ये कोई नहीं जानता, इसके विषय में कोई ठोस प्रमाण नहीं है। पता सिर्फ इतना सा चला है कि इस मंदिर की टूटी सीढ़ियों की रिपेयरिंग छठी शताब्दी में चंबा रियासत के राजा मेरू वर्मन ने कराई थी।

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नोट- आपको यह जानकारी पुरानी मान्यताओं और बुजुर्गों के कहे अनुसार उपलब्ध कराई गई है। इसके जरिए किसी को भी भ्रमित करना या अंधविश्वास फैलाना हमारा मकसद नहीं है।


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Prashar

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