चिंताजनक : जिला कारागार में बंद कैदियों में अधिकतर युवा

Friday, Jun 15, 2018 - 12:53 PM (IST)

धर्मशाला(जिनेश) :धर्मशाला जिला कारागार में बंद 80 फीसदी कैदी युवा हैं। जिनकी उम्र 20 साल से 35 वर्ष तक है, ये वो सच्चाई है, जो हैरान कर देने के साथ चिंता का विषय भी है। हालांकि देश व प्रदेश के विकास का जिम्मा इन्हीं युवाओं के कंधों पर हैं, लेकिन नशे और अपराध के कारण ये युवा जिस राह पर जा रहे हैं, वह युवा समाज के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। जिला कारागार धर्मशाला में बंद युवा पीढ़ी को देख खुद जेल उप-अधीक्षक इससे चिंतित है, परंतु सजा काटने के बाद युवा कैदी समाज में अपनी नई पहचान बना सके उसके लिए जेल उप-अधीक्षक द्वारा किए जा रहे कई प्रयास भी काबिले तारिफ  है। जिला कारगार धर्मशाला में युवा कैदी देखे जाने से इस बात को भी नही नकारा जा रहा कि प्रदेश के बाकी जिलों के कारगार में युवा कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। प्रदेश सरकार के लिए यह एक ऐसा कड़वा सच है, जिस पर शायद ही सरकार का ध्यान गया हो।

वर्तमान में जिला कारागार धर्मशला में 270 कैदी 
विभिन्न मामलों में सजा काट रहे युवाओं में सबसे बड़ा मुद्दा जो सामने आया है वे प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी है, जिसकी छटपटाहट जेल में बंद युवा कैदियों में साफ  देखी जा सकती है। यहीं कारण है कि जिला कारागार धर्मशाला में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के भी पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि जेल में सजा काटने के बाद वे खुद को बेरोजगार न समझे। वर्तमान में जिला कारागार धर्मशला में 270 कैदी हैं, जिनमें 9 महिला कैदी भी शामिल हैं, जो अपनी सजा को पूरी कर रहे हैं। इन कैदियों में से कुछ ओपन जेल के माध्यम से जेल के बाहर भी काम धंधा कर अपनी सेवाएं लोगों को दे रहे हैं, लेकिन जेल प्रशासन द्वारा केवल ऐसे ही कैदियों को बाहर काम के लिए भेजा जाता है जो अपनी अधिकतर सजा पूरी कर चुके होते हैं और जिनका व्यवहार सही हो।

इन काम धंधों को सीख रहे कैदी
जेल प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जेल में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत कैदियों को काम उपलब्ध करवाया जा रहा है। जेल में सजा काट रहे कैदी विभिन्न काम धंधों को अपनाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। जेल में कैदियों को बेकरी बनाना, दरियां बनाना, सब्जियां उगाने के अलावा बगीचा तैयार करना व उसकी देखभाल करना, कारवाशिंग, कारपेंट्री, गऊशाला, डेरीफार्म, हेयर ड्रेसिंग, पेंटिंग, आदि कार्यों में कुशल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त ओपन जेल के माध्यम से कैदी शहर व आसपास के क्षेत्रों में काम धंधे के लिए सुबह निकलते हैं और शाम को लौटते हैं।

मानसिक रूप से भी किया जा रहा मजबूत
जेल में बंद युवाओं को मानसिक रूप से भी मजबूत किया जा रहा है, ताकि जेल की कालकोठरी में उनकी विचारधारा को बदला जा सके। इसके लिए जेल प्रशासन द्वारा आर्ट ऑफ लीविंग, पतंजलि, ईश्वरीय विश्वविद्यालय धर्मशाला व स्वयं सेवी संस्था यात्रा सहित कई एन.जी.ओ का सहयोग लिया जा रहा है। युवा कैदियों को जीवन में शांति तथा योग को लेकर पाठ पढ़ाया जा रहा है, ताकि कैदियों को सांसारिक संबंधों जैसे द्वेष को भूल कर ईश्वर की स्मृति में रहने की बात, भौतिक बाधा दूर रहना, जीवन में अपार शांति एवं आनंद की सहानुभूति रखना बातें शामिल हैं।

युवा कैदियों को देख होती है चिंता 
जिला कारागार धर्मशाला के जेल उप-अधीक्षक विनोद चम्बियाल खुद जेल में बंद युवा कैदियों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कैदियों के प्रति अपनी चिंता को एक प्रयास के रूप में शुरु किया है। विनोद चम्बियाल के अनुसार कैदियों के विचार बदलेंगे तो कर्म खुद ही बदल जाएगा। उन्होंने बताया कैदियों को जहां शिक्षित किया जा रहा है, वहीं उन्हे विभिन्न कार्यों का हुनर भी दिया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर चिंता प्रकट की है कि युवा पीढ़ी अपराध की दलदल में दिन-प्रतिदिन फंसती ही जा रही है।
 

kirti