विश्व विख्यात पर्यटन नगरी मनाली आने से पहले पढ़ लें यह खबर

Thursday, Jun 01, 2017 - 04:22 PM (IST)

मनाली: दुनिया भर में बर्फ से लदी चोटियों के लिए विख्यात पर्यटन नगरी मनाली सरकार के लिए महज आमदनी का स्रोत बनकर रह गई है। यहां देश-विदेश के सैलानी आते तो बड़े चाव से हैं लेकिन यहां आकर उन्हें सुविधा व व्यवस्था के नाम पर निराशा हाथ लगती है। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अग्रणी मनाली में गर्मियों के दौरान भी बर्फ के दीदार व ठंडक का अहसास लेने के लिए रोहतांग दर्रा जाने वाले सैलानियों व मनाली में प्रवेश करते ही अन्य राज्यों के वाहनों से सरकार रोजाना करीब 10 लाख रुपए कमा रही है। हर साल मनाली आने वाले लाखों सैलानियों का स्वागत सबसे पहले यहां की खस्ताहाल सड़कें करती हैं, जिसके बाद उन्हें गाड़ियों को पार्क करने की पर्याप्त जगह नहीं मिलती है और फिर रहने की जगह तलाशने के लिए मारामारी होती है। घंटों की भागदौड़ के बाद होटल या गैस्ट हाऊस में जगह मिल जाती है तो खाने-पीने के लिए महंगाई और बाद में मुख्य पर्यटन स्थलों पर सफाई व अन्य लचर व्यवस्थाएं पर्यटकों को चिढ़ाती हैं।  


ग्रीन टैक्स व ऑनलाइन परमिट से आमदनी
राजस्व के कमाऊ पूत मनाली से सरकार ने वर्ष 2004 के दौरान बाहरी क्षेत्रों से आने वाले पर्यटक वाहनों से ग्रीन टैक्स के रूप में 300 रुपए लेने शुरू किए थे। अब सरकार द्वारा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोहतांग जाने वाले पर्यटकों से ऑनलाइन परमिट के नाम पर प्रति वाहन 550 रुपए वसूले जा रहे हैं। एन.जी.टी. के प्रतिबंध के कारण रोहतांग के लिए रोजाना 1200 परमिट ही दिए जा रहे हैं, जिनसे लगभग हर रोज साढ़े 6 लाख रुपए की आमदनी हो रही है। इसके अलावा हामटा की तरफ जाने वाले पर्यटन वाहनों से भी कंजैशन फीस के रूप में 200 रुपए लिए जा रहे हैं जबकि इस साल से लाहौल की तरफ जाने वालों से भी 50 रुपए प्रति वाहन शुल्क उगाही हो रही है। कुल मिलाकर समर टूरिस्ट सीजन के दौरान मनाली ग्रीन टैक्स, ऑनलाइन परमिट व कंजैशन फीस के रूप में सरकार को प्रतिदिन 10 लाख रुपए का राजस्व दे रही है। बावजूद इसके मनाली में सुविधाओं व पर्यटन को बढ़ावे के नाम पर यहां आकर पर्यटकों को परेशान होना पड़ता है।