हिमाचल का एक ऐसा गांव जहां सुहागिनें नहीं मनातीं करवाचौथ

Friday, Oct 26, 2018 - 11:01 PM (IST)

कुल्लू: करवाचौथ के दिन जहां महिलाएं अपने पति के लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी, वहीं जिला में एक ऐसा भी गांव है जहां करवाचौथ का व्रत नहीं रखा जाता है। जिला मुख्यालय से सटी खराहल घाटी के कोन्हा मलाणा के तांदला गांव में अभी तक महिलाएं करवाचौथ का व्रत नहीं रखती हैं। यहां के लोग देव नियमों से बंधे हैं। यहां महिलाएं देवता शुकली नाग पर ही विश्वास करती हैं तथा अपने पति की लंबी उम्र की उनसे ही प्रार्थना करती हैं। वहीं भैयादूज आदि कई त्यौहार नहीं मनाए जाते हैं। इसके अलावा रात को ही वर-वधू परिणय सूत्र में बंधते हैं। यहां न तो गणेश पूजा होती है और न ही 7 फेरे का रिवाज है। 

सदियों से गंधर्व विवाह की रिवायत
यहां सदियों से गंधर्व विवाह की रिवायत रही है। यहां दहेज लेना और देना महापाप माना जाता है। खास बात यह है कि यहां लड़की को लड़के वाले कुछ धनराशि देते हैं और बाद में विवाहिता के बैंक खाते में राशि जमा करवाते हैं। विवाह का कार्यक्रम 3 दिन तक चलता रहता है। देवता के कारकून जीत राम ने बताया कि इन त्यौहारों को मनाने से देव नियम भंग हो जाते हैं जिससे अनहोनी की आशंका रहती है। उन्होंने कहा कि देव आस्था से जुड़े लोग आज भी प्राचीन देव परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं। 

महिलाएं इसलिए नहीं मनाती करवाचौथ का व्रत
काईस से सटे गांव तांदला में सदियों से युवक-युवितयां गंधर्व विवाह रचाते आ रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति देव परंपरा का उल्लंघन कर सेहराबंदी करके विवाह रचाता है तो उस नव विवाहित जोड़े का विवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता। इसके बाद पति की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाले करवाचौथ व्रत को करने की भी सख्त मनाही है। इस स्थान पर जोगणियों का वास है तथा यहां पर विवाह के बाद महिलाएं अगर हार-श्रंृगार करती हैं तो इससे जोगणियों पर दबाव पड़ता है जिससे क्षेत्र में अशुभ होने का डर रहता है, जिसके चलते यहां की महिलाएं करवाचौक का व्रत नहीं करतीं। देवलुओंं का मानना है कि करवाचौथ के लिए महिलाओं को हार श्रंृगार करना पड़ता है तथा ऐसा करने के क्षेत्र पर विपदा आ सकती है।  

Vijay